यूनियन कार्बाइड के कचरे की राख में रेडियो एक्टिव तत्व, भोपाल के समाजसेवी ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने इस याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद इसे पहले से लंबित मुख्य याचिका के साथ जोड़कर सुनवाई के निर्देश दिए हैं।

Updated: Jul 29, 2025, 02:53 PM IST

भोपाल। यूनियन कार्बाइड के जहरीले रासायनिक कचरे को पीथमपुर की फैक्ट्री में जलाया जा चुका है। हालांकि, निष्पादन की इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में राख निकले हैं। अब इस जहरीले कचरे की राख को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। भोपाल के अधिवक्ता बीएल नागर और समाजसेवी साधना कार्णिक द्वारा दायर याचिका में अदालत का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है कि जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ सक्रिय हैं, जो जनस्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हैं।

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ ने इस याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद इसे पहले से लंबित मुख्य याचिका के साथ जोड़कर सुनवाई के निर्देश दिए हैं।याचिका में भी बताया गया है कि जहरीले कचरे के विनष्टीकरण के बाद 850 मेट्रिक टन राख और अवशेष एकत्रित हुआ, जिसमें बड़ी मात्रा में मरकरी (पारा) मौजूद है। 

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इस स्तर के जहरीले तत्वों को निष्क्रिय करने की उन्नत तकनीक केवल जापान और जर्मनी जैसे देशों के पास उपलब्ध है। भारत में अभी ऐसी कोई वैज्ञानिक व्यवस्था नहीं है, जिससे इस राख को पूरी तरह सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सके। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस राख में न केवल पारा है, बल्कि रेडियो एक्टिव तत्व भी मौजूद हैं, जिनमें अब भी नाभिकीय विखंडन (न्यूक्लियर फिशन) की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में यह राख स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा कर सकती है और इसके सुरक्षित निष्पादन की तत्काल आवश्यकता है।

बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में बीते 40 वर्षों से जहरीला कचरा पड़ा हुआ था। हाल ही में इसके 337 मेट्रिक टन कचरे को पीथमपुर स्थित विशेष सुविधा केंद्र में वैज्ञानिक विधि से नष्ट किया गया। हालांकि इसके बाद जो राख बची, वह अब एक नया संकट बनकर उभरी है।