आबादी के हिसाब से केंद्रीय विद्यालयों में बढ़ाया जाए ST स्टूडेंट्स का कोटा, दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिखा पत्र

जनसंख्या के हिसाब से केंद्रीय विद्यालयों में सीटें आरक्षित कर शिक्षा से वंचित जनजाति वर्ग के साथ न्याय किया जाए, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से की मांग

Updated: Jun 14, 2023, 06:17 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने आबादी के हिसाब से केंद्रीय विद्यालयों में ST वर्ग के स्टूडेंट्स का कोटा बढ़ाने की वकालत की है। कांग्रेस नेता ने इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र भी लिखा है। सिंह ने केंद्रीय मंत्री से जनसंख्या के हिसाब से केंद्रीय विद्यालयों में सीटें आरक्षित कर शिक्षा से वंचित जनजाति वर्ग के साथ न्याय किया जाए।

धर्मेंद्र प्रधान को संबोधित पत्र के साथ पूर्व मुख्यमंत्री ने भोपाल निवासी कृतिका ठाकुर का आवेदन भी संलग्न किया है। इसमें लिखा है कि, 'वर्तमान में केंद्रीय विद्यालयों में आदिवासी वर्ग के लिये केवल 7.5 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। जबकि मध्य प्रदेश की सम्पूर्ण जनसंख्या में 21.1 प्रतिशत अनुसूचित जाति की जनसंख्या है एवं भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या में से 14.7 प्रतिशत है। जबकि मध्य प्रदेश में 6 ऐसे जिले है जहां आदिवासी आबादी उस जिले की कुल आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक है।'

पत्र के माध्यम से सिंह ने शिक्षा मंत्री को बताया है कि अलीराजपुर 89 प्रतिशत, झाबुआ 87 प्रतिशत, बड़वानी 69.4 प्रतिशत, डिण्डौरी 64.7 प्रतिशत, मंडला 57.9 प्रतिशत और धार 55.9 प्रतिशत आदिवासी है। साथ ही मध्य प्रदेश में 13 जिले ऐसे हैं जहां अनुसूचित जनजातियों की जनसख्यां 25 से 50 प्रतिशत के बीच है। इनमें अनूपपुर 47.9 प्रतिशत, उमरिया 46.6 प्रतिशत, शहडोल 44.7 प्रतिशत, बैतूल 42.3 प्रतिशत, खरगोन 39 प्रतिशत, सिवनी 37.7 प्रतिशत, छिंदवाडा 36.8 प्रतिशत, खंडवा 35 प्रतिशत, सिंगरौली 32.6 प्रतिशत, बुरहानपुर 30.4 प्रतिशत, रतलाम 28.2 प्रतिशत, हरदा 28 प्रतिशत, सीधी 27.8 प्रतिशत है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मांग करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य जिलों में उनकी जनसंख्या के हिसाब से केन्द्रीय विद्यालयों में सीटें आरक्षित कर शिक्षा से वंचित जनजाति वर्ग के साथ न्याय किया जाए।