उज्जैन: सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट रद्द, चौतरफा विरोध के बाद बैकफुट पर मोहन सरकार, नई अधिसूचना जारी
राज्य सरकार ने उज्जैन की सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट को किसानों और स्थानीय स्तर पर भारी विरोध के बाद पूरी तरह से निरस्त कर दिया है।
उज्जैन। किसानों और स्थानीय स्तर पर भारी विरोध के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार ने उज्जैन के सिंहस्थ क्षेत्र की लैंड पूलिंग योजना को मंगलवार देर रात निरस्त कर दिया। अब सिंहस्थ क्षेत्र में ठीक उसी तरह से व्यवस्था होगी, जैसे अब तक होती आई है। इस संबंध में मंगलवार देर रात एक अधिसूचना जारी किया गया, जिसमें उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार किए गए नगर विकास योजना 8, 9, 10 और 11 को भी रद्द कर दिया गया।
दरअसल, 17 नवंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में सीएम हाउस में भारतीय किसान संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। बैठक में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल भी मौजूद थे।बैठक के बाद किसान संघ के पदाधिकारियों ने दावा किया था कि लैंड पूलिंग एक्ट वापस लिया जाएगा। हालांकि उस समय मुख्यमंत्री की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था।
इसके दो दिन बाद 19 नवंबर को सरकार ने एक संशोधन आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि अब स्थायी अधिग्रहण बिल्डिंग निर्माण के लिए नहीं होगा, बल्कि केवल सड़क, नाली जैसे बुनियादी विकास कार्यों के लिए ही जमीन ली जाएगी, लेकिन इस संशोधन पर भी भारतीय किसान संघ और कांग्रेस ने आपत्ति जताई और पूरे एक्ट को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे।
मामला तब और गंभीर हो गया, जब 15 दिसंबर को उज्जैन उत्तर से बीजेपी विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने की मांग की। विधायक ने चेतावनी दी थी कि अगर एक्ट वापस नहीं लिया गया तो वे किसानों के आंदोलन में शामिल होंगे।विधायक के पत्र के अगले ही दिन यानी 16 दिसंबर को सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट को पूरी तरह वापस लेने का आदेश जारी कर दिया।




