VIT कॉलेज में खराब खाने पर बवाल, छात्रों ने बस-कारें फूंकीं, कैंपस में जमकर तोड़फोड़
छात्रों का आरोप है कि यूनवर्सिटी में भोजन और पानी की खराब गुणवत्ता के कारण उनके कई साथियों को पीलिया हो गया है। 100 छात्र आष्टा, सीहोर और भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं।
सीहोर। मध्य प्रदेश में सीहोर स्थित VIT यूनिवर्सिटी में छात्रों का प्रदर्शन बेहद उग्र हो गया है। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स तोड़फोड़ और आगजनी पर उतारू हो गए हैं। उन्होंने दर्जनों बस और कारें फूंक दी है। यूनिवर्सिटी परिसर में जमकर तोड़फोड़ भी किया गया है। वहीं, बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं सामान लेकर यूनिवर्सिटी छोड़कर जा भी रहे हैं।
छात्रों का आरोप है कि कैंपस में उन्हें घटिया पानी और खराब भोजन दिया जा रहा है, जिसके कारण कई छात्र पीलिया का शिकार हुए हैं। उनका दावा है कि बीमारी के चलते छात्रों की मौत भी हुई है। लगभग 100 छात्र आष्टा, सीहोर और भोपाल के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती बताए जा रहे हैं। जब छात्रों ने विरोध दर्ज कराया, तो कथित तौर पर हॉस्टल गार्ड और वार्डन ने उनके साथ मारपीट की। इसका वीडियो भी सामने आया है।
मारपीट की घटना के बाद मंगलवार रात 4 हजार छात्रों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में बस और कारों में आग लगा दी। हालात बिगड़ने पर 5 थानों से पुलिस बल बुलाना पड़ा। हालांकि, यूनिवर्सिटी में छात्रों का उग्र प्रदर्शन बुधवार को भी जारी है। यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग में कुछ छात्रों ने सुबह फिर आग लगा दी। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर से धुआं दिखाई दिया। आगजनी की सूचना पर फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची। हालात बिगड़ते देख कैंपस में पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की गई है। 
यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने 30 नवंबर तक अवकाश घोषित कर दिया है। इसके बाद स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी छोड़कर जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी से कोई साधन नहीं मिलने पर छात्र पैदल ही बस स्टॉप के लिए निकल गए। यूनिवर्सिटी जाने वाले मार्ग पर बड़ी संख्या में छात्र अपना लगेज ले जाते नजर आ रहे हैं।
वीआईटी भोपाल यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार केके नायर ने वीडियो जारी कर कहा कि विश्वविद्यालय में पीलिया (जॉन्डिस) से मौतों की अफवाहें पूरी तरह निराधार और गलत हैं। किसी भी छात्र की मौत नहीं हुई है। इस तरह की खबरें भ्रामक हैं। मामले पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि भोपाल के शिक्षण संस्थान VIT की घटना अत्यंत चिंताजनक है। बच्चों को स्वच्छ पानी और शुद्ध भोजन उपलब्ध न होना निंदनीय है। सरकार को इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।




