मुठ्ठी भर लोग संसद में करते हैं हुड़दंग, अडानी घूस कांड पर चर्चा की मांग के बीच बोले PM मोदी
संसद का ये सत्र कई प्रकार से विशेष है। कल संविधान सदन में सभी मिलकर संविधान के 75 साल पूरे होने पर उत्सव का मिलकर आगाज करेंगे: नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का सोमवार से शुरुआत हो चुका है। इस सत्र में विपक्ष अडानी घुस कांड पर चर्चा की मांग कर रही है। सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने संसद परिसर के बाहर अपने संबोधन में कहा कि मुठ्ठी भर लोग संसद में हुडदंग करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा, '2024 का अंतिम कालखंड चल रहा है। संसद का ये सत्र कई प्रकार से विशेष है। कल संविधान सदन में सभी मिलकर संविधान के 75 साल पूरे होने पर उत्सव का मिलकर आगाज करेंगे। संविधान निर्माताओं ने संविधान बनाते समय एक-एक बिंदु पर चर्चा की। तब जाकर ऐसा उत्तम दस्तावेज हमें मिला। इसकी महत्वपूर्ण इकाई है हमारी संसद। हमारे सांसद भी, संसद भी। संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में योगदान दें।'
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि दुर्भाग्य से मुठ्ठी भर लोग राजनीतिक स्वार्थ के लिए संसद को हुड़दंगबाजी से कंट्रोल करने का प्रयास करते हैं। जनता उन्हें देखती है फिर सजा देती है। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता और देश की जनता उनके सारे व्यवहारों को देखती है और जब समय आता है, तब सजा भी देती है। सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद नए विचार और नई ऊर्जा लेकर आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में उनको बोलने का अवसर नहीं मिलता।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम है अगली पीढ़ी को तैयार करें, लेकिन 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।
पीएम मोदी ने अंत में कहा, 'लोकतंत्र की ये शर्त है कि हम जनता-जनार्दन की भावनाओं का आदर करें उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए लगातार मेहनत करें। मैं बार-बार विपक्ष के साथियों से आग्रह करता रहा है और कुछ विपक्ष जिम्मेदारी से व्यवहार करते भी हैं कि सदन में सुचारू रूप से काम हो, लेकिन लगातार जिनको जनता ने नकार दिया है, वे अपने साथियों की भावनाओं का भी अनादर करते हैं, लोकतंत्र की भावनाओँ का अनादर करते हैं। मैं आशा करता हूं कि हमारे नए साथियों को अवसर मिले, सभी दल में नए साथी हैं, उनके पास नए विचार हैं, भारत को आगे ले जाने के लिए नई कल्पनाएं हैं।'