न्यूजक्लिक फॉरेन फंडिंग केस में CBI की एंट्री, प्रबीर पुरकायस्थ के घर जांच एजेंसी की छापेमारी

CBI से पहले इस कथित फॉरेन फंडिंग की जांच दिल्ली पुलिस, ईडी और आईटी भी कर रही है। ईडी ने इस मामले में पीएमएलए के तहत पहले ही मामला दर्ज किया है।

Updated: Oct 11, 2023, 11:20 AM IST

नई दिल्ली। चीन से फंड लेने के आरोप में न्यूजक्लिक के खिलाफ अब CBI की टीम ने भी छानबीन शुरू कर दी है। बुधवार को CBI की एक टीम ने दिल्ली स्थित प्रबीर पुरकायस्थ के घर छापेमारी की। प्रबीर न्यूजक्लिक के फाउंडर और एडिटर हैं और फिलहाल इस मामले में जेल में बंद हैं। सीबीआई ने बुधवार को उनकी पत्नी से पूछताछ भी की।

बताया जा रहा है की सीबीआई की लगभग आठ लोगों की टीम पुरकायस्थ के घर पर मौजूद थी। टीम ने पुरकायस्थ की पत्नी गीता हरिहरन से गहन पूछताछ की। जबकि पुरकायस्थ फिलहाल इस मामले में एचआर हेड अमित चक्रवर्ती के साथ पहले से ही ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। CBI से पहले इस कथित फंडिंग की जांच दिल्ली पुलिस, ईडी और आईटी भी कर रही है। ईडी ने इस मामले में पीएमएलए के तहत पहले ही मामला दर्ज किया है। जबकि दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत इस मामले की जांच कर रही है।

दिल्ली हाईकोर्ट समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल एक याचिका पर बीते शुक्रवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया था। इस मामले की एफआईआर के मुताबिक, चीन से जुड़ी संस्थाओं के साथ कथित संबंधों के लिए न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़क्लिक की जांच की जा रही है। न्‍यूजक्लिक पर भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने की साजिश का आरोप लगाया गया।

एफआईआर में न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ, एचआर हेड अमित चक्रवर्ती और कई पत्रकारों और सोशल एक्टिविस्‍ट के नाम शामिल हैं और उन पर भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने और देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है।

बीते दिनों दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज क्लिक छापेमारी मामले पर देश के तमाम प्रेस संगठनों ने चिंता जताई थी। 16 प्रेस संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर मीडिया के खिलाफ लगातार हो रहे सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग को रोकने की मांग की थी। पत्र में लिखा था, 'मीडिया के खिलाफ राज्य की कार्रवाइयां हद से ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। हमारा डर यह है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब स्थिति ऐसी हो जाएगी कि जिसमें सुधार करना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए हमारा सामूहिक विचार यह है कि मीडिया के दमन के लिए हो रहे केंद्रीय जांच एजेंसियों के इस्तेमाल को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना चाहिए।'