New Education Policy: 5वीं तक मातृ भाषा में होगी पढ़ाई

Modi Cabinet: विदेशी यूनिवर्सिटी को भारत में कैंपस खोलने की मंज़ूरी, एमफिल की पढ़ाई खत्म। पीएम की अध्यक्षता में बनेगा राष्ट्रीय शिक्षा आयोग

Updated: Jul 30, 2020, 10:14 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने के साथ ही विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति से लेकर एमफिल का कोर्स खत्म करने तक कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं।  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने पिछले साल मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को नई शिक्षा नीति का मसौदा सौंपा था।

दावा है कि नई शिक्षा नीति शिक्षा व्यवस्था को इक्कीसवीं सदी के लक्ष्यों और महत्वकांक्षाओं के साथ ढा़लने के साथ-साथ भारतीय परंपरा और मूल्यों का भी समावेश करेगी। यह नीति भारतीय शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बदलने का उद्देश्य रखती है। 

नई शिक्षा नीति की मुख्य बातें

  • नई शिक्षा नीति 2025 तक सभी बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। वहीं 2030 तक तीन से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देना भी इसका उद्देश्य है।
  • नई शिक्षा नीति के तहत तीन से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए 5+3+3+4 मॉडल का शैक्षणिक स्ट्रक्चर तैयार किया गया है। इसके तहत बच्चों को पहले प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक, फिर कक्षा 2 से 5 तक, फिर कक्षा 5 से 8 (अपर प्राइमरी) तक और उसके बाद कक्षा 9 से कक्षा 12 (सेंकडरी) के प्रारूप में शिक्षित किया जाएगा। पहले यह स्ट्रक्चर 10+2 प्रारूप का था। 
  • इस नई नीति के तहत पहले की तरह कला, वाणिज्य, खेल और विज्ञान में से किसी एक को चुनना जरूरी नहीं होगा। छात्र आसानी से अपनी पसंद के विषय चुन सकेंगे। साथ ही विद्यार्थियों को पांचवी कक्षा तक उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी।
  • नीति के तहत 1968 से चला आ रहा तीन भाषा का फॉर्मूला बरकरार रहेगा। यह फॉर्मूला संविधान के प्रावधानों, लोगों, क्षेत्रों और संघ की महत्वकांक्षाओं और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
  • नई नीति के तहत प्रत्येक विद्यार्थी कक्षा 6 से 8 के बीच एक क्लासिक भारतीय भाषा सीखेगा। वहीं प्रत्येक स्तर पर विद्यार्थियों की शारीरिक शिक्षा और उनके विभिन्न खेल गतिविधियों में भाग लेने का विशेष ख्याल रखा जाएगा।
  • उच्च शिक्षा की अगर बात करें तो नई नीति के तहत लॉ और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही नियामक द्वारा संचालित होंगे और एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद कर दिया जाएगा। वहीं एक बड़े कदम के तहत सरकार ने विदेशी विश्वविद्यालयों को देश में कैंपस स्थापित करने की अनुमति भी दे दी है। 
  • प्रत्येक राज्य के लिए स्वतंत्र रूप से स्कूल रेगुलेटरी बॉडी की स्थापना की जाएगी। साथ ही साथ एक नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी जो प्रतियोगी स्तर पर अनुसंधान प्रस्तावों को फंड देगी। एक राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की भी स्थापना की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। यह आयोग देश के लिए शिक्षा के दृष्टिकोण के विकास, मूल्यांकन, संशोधन और क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा।

गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गयी थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था । नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय का पहले नाम शिक्षा मंत्रालय ही था। राजीव गांधी ने इसे बदला था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठन लंबे समय से मंत्रालय का नाम बदलने की मांग कर रहे थे।वहीं नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी एस आर सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार किया। इस समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तब किया था जब मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी के पास था ।