लोकसभा चुनाव के लिए मिशन मोड में कांग्रेस, वित्तीय संकट से बाहर आने के लिए एक-एक रुपए बचाने का प्रयास

सभी सांसदों से हर साल 50 हजार रुपए पार्टी फंड में डालने की अपील, पदाधिकारियों के खर्चे में भी हुई कटौती, कोषाध्यक्ष बोले, एक-एक रुपए बचाने की है कोशिश

Updated: Aug 13, 2021, 08:58 PM IST

Photo Courtesy: TheNewsMinute
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से मिशन मोड पर है। बीजेपी को सभी मोर्चों पर पटखनी देने के लिए हाईकमान ने खास रणनीति तैयार की है। इसके तहत सबसे अहम वित्तीय मोर्चा है, जिसपर कांग्रेस हमेशा पिछड़ती नजर आती है। पैसों की भारी तंगी से जूझ रही कांग्रेस ने तय किया है कि आगामी चुनाव में वित्तीय संकट प्रचार-प्रसार में आड़े न आ पाए। इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने एक-एक रुपए बचाकर पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अहम निर्देश जारी किया है।

कांग्रेस की योजना है कि पाई-पाई बचाकर उसे बहुत जरूरी होने पर ही खर्च किया जाए। ताकि बीजेपी जैसी आर्थिक रूप से मजबूत दल से लड़ाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पैसों और संसाधनों की कमी महसूस न हो। इसके लिए कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने कई दिशानिर्देश जारी किए हैं। बंसल ने सभी कांग्रेस सांसदों को सालाना 50 हजार रुपए पार्टी फंड में दान देने का आह्वान किया है। साथ ही सभी सांसदों को कहा गया है कि हवाई यात्रा के लिए टिकट के पैसे पार्टी फंड से न लेकर सांसद के तौर पर उन्हें मिलने वाली केंद्र सरकार से यात्रा सुविधाओं का लाभ उठाएं। इसके अलावा सांसदों को यह भी कहा गया है कि वे दो समर्पित कार्यकर्ताओं से 4 हजार रुपए पार्टी फंड में दिलाएं।

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इतना ही नहीं कांग्रेस ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के भी अनाप-शनाप खर्चे में कटौती करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने सभी सचिवों से कहा है कि वे यथासंभव ट्रेन से ही यात्रा करें और जब ट्रेन से यात्रा संभव न हो तो सबसे कम किराये वाले विमान से सफर करें। कोषाध्यक्ष द्वारा जारी मेमो के मुताबिक सचिवों के लिए पार्टी 1,400 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए ट्रेन किराए ही वहन कर पाएगी। यदि सचिवों को पार्टी के कामकाज से जुड़े यात्रा के लिए 1,400 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी होगी तो उन्हें सबसे कम हवाई किराया यानी इकॉनमी क्लास के टिकट का पैसा दिया जाएगा। ट्रेन का किराया हवाई किराए से अधिक होने की स्थिति में वे हवाई यात्रा कर सकते हैं।

कांग्रेस अपने राष्ट्रीय सचिवों को 12 हजार रुपए और महासचिवों को 15 हजार रुपए भत्ता भी देती है। लेकिन पार्टी ने इसमें भी कटौती करने वाली है। कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने कहा है कि बंसल ने कहा है की उनमें से ज्यादातर शायद ही कभी भत्ते की राशि का उपयोग करते हैं। इसके अलावा पार्टी पदाधिकारियों को कैंटीन बिल, स्टेशनरी बिल, बिजली बिल, समाचार पत्र के खर्चे, ईंधन आदि पर हो रहे ख़र्चों को कम करने के लिए कहा है। बंसल का मानना है कि इस समय एक-एक रुपए को बचाना बेहद जरूरी हो गया है।

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हाईकमान ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब इसी महीने एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि साल 2019-20 में कांग्रेस की इलेक्ट्रॉल बॉन्ड से होने वाली कमाई 17 फीसदी कम हो गई है। वित्त वर्ष 2018-19 में कांग्रेस को इलेक्ट्रॉल बॉन्ड से 383 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे, लेकिन 2019-20 में वह सिर्फ कांग्रेस इलेक्ट्रोल बॉन्ड से महज 318 करोड़ रुपये ही जुटा पाई। यह देशभर में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड से आई कुल रकम का महज 9 फीसदी है।

इस वर्ष देश के सभी पार्टियों को इलेक्ट्रॉल बॉन्ड के माध्यम से कुल 3,355 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं। दिलचस्प बात ये है कि इनमें 2,555 करोड़ रुपये अकेले सत्तारूढ़ बीजेपी को प्राप्त हुई। चुनाव आयोग के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में बेचे गए इलेक्टोरल बॉन्ड का 76 प्रतिशत हिस्सा सत्तारूढ़ बीजेपी को प्राप्त हुआ था। माना जाता है कि पिछले कुछ वर्षो में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस के पिछड़ने का एक मुख्य वजह वित्तीय संकट और संसाधनों की कमी भी रही है। ऐसे में पिछले सात साल से सरकार से बाहर रही कांग्रेस, अब चुनाव प्रचार के दौरान आर्थिक संकट को आड़े नहीं आने देना चाहती और इसी के लिए पार्टी ने फंड इकट्ठा करने और खर्चे में कटौती की रणनीति अपनाई है।