नबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग पर मौत की सजा, IPC-CRPC बदलने की तैयारी, लोकसभा में पेश हुआ नया बिल

केंद्र सरकार ने रेप केस और राजद्रोह से जुड़े कानूनों में अहम बदलाव का प्रस्ताव पेश किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र खत्म होने से पहले संबंधित विधेयकों को लोकसभा में पेश किया।

Publish: Aug 11, 2023, 06:38 PM IST

Image courtesy- IBC24
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नई दिल्ली। लोकसभा में शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीन अहम कानूनों को पूरी तरह से बदलने संबंधी विधेयक पेश किए हैं। जिसमें नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग के मामले में मृत्युदंड के प्रावधान सहित कई अहम बदलाव सम्मिलित हैं। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए भी कानून में प्रमुख बदलाव किए गए हैं। विधेयक में राजद्रोह की धारा 124A को भी समाप्त करने का प्रस्ताव शामिल है। इसकी जगह अब धारा 150 के तहत आरोप तय किए जाएंगे। बता दें IPC की धारा 150 में भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को 124A के समान ही रखा गया है। 

मॉब लिंचिंग, नाबालिग से रेप के मामले में सजा-ए-मौत
मॉब लिंचिंग को हत्या माना जाएगा ऐसे में पांच या पांच से अधिक लोगों का समूह एक साथ मिलकर किसी नस्ल, जाति और समुदाय, लिंग, जन्म, स्थान, भाषा, और निजी भरोसे या किसी अन्य आधार पर हत्या की वारदात को अंजाम देता है तो ऐसे समूह के हरेक सदस्य को न्यूनतम सज़ा सात साल और अधिकतम मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है। वहीं गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का दंड दिया जाएगा। 18 साल से कम उम्र की नाबालिग बच्चियों से रेप के मामले में सजा ए मौत देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। इसके तहत विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है। 


विधेयकों को पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तीनों कानून अंग्रेजों के द्वारा अपने फायदे के लिए बनाए गए थे। इसका देश में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा था। उन कानूनों का फोकस ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा करना था और उन्हें मजबूती देना था। उन कानून में दंड देने का विचार था, न्याय देना नहीं। हमारी सरकार इन कानूनों को बदलने जा रही हैं। इन कानूनों के बदले सरकार नए कानून ला रही हैं। इसके साथ ही वर्तमान में मौजूद राजद्रोह का कानून भी खत्म हो जाएगा। 


केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अब इंडियन पीनल कोड (IPC) 1860 की जगह, अब भारतीय न्याय संहिता 2023 होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 प्रस्थापित होगी। इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 का नाम बदलकर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होगा।  


तीनों बिलों से हुए अहम बदलाव इस प्रकार होंगे -
* जिन मामलों में सात साल या उससे ज्यादा की सजा है, ऐसे केस में क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम का जाना अनिवार्य होगा।
* यौन हिंसा में पीड़िता का बयान और बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।
* 7 साल से अधिक की सजा वाले केस को खत्म करना है तो पीड़ित को सुने बगैर केस वापस नहीं होगा।
* किसी भी मामले में 90 दिन के भीतर चार्जशीट फाइल करनी पड़ेगी. कोर्ट की मंजूरी से और 90 दिन का समय मिल सकता है।
* किसी मामले में बहस पूरी होने के बाद एक महीने के भीतर कोर्ट को फैसला सुनाना होगा। 7 दिन के भीतर उस फैसले को ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।
* पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ट्रायल चलाने का फैसला सरकार को 120 दिन में करना होगा।
* मॉब लिंचिंग के मामले में दोषियों को 7 साल की सजा, आजीवन कारावास या मौत की सजा भी हो सकती है।
* गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा। 18 साल से कम उम्र की लड़की के मामले में मौत की सजा का प्रावधान होगा।
* रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने पर सजा का प्रावधान होगा। 
* मौत की सजा को केवल आजीवन कारावास में ही बदल सकते हैं, आजीवन कारावास की सजा को 7 साल की सजा तक, और 7 साल की सजा को 3 साल तक की सजा तक ही माफ कर सकेंगे।
* राजद्रोह को पूरी तरह खत्म किया जाएगा। उसकी जगह धारा 150 के तहत अपराध सुनिश्चित होंगे। 
* पहली बार टेररिज्म की व्याख्या और संपति को जब्त किया जायेगा। कोर्ट ऑर्डर करेगा, पुलिस नहीं ।
* भगोड़ों की अनुपस्थिति में भी ट्रायल होगा और सजा सुनाई जाएगी।
* गुनाह किसी भी इलाके में हुआ हो, लेकिन एफआईआर देश के किसी भी हिस्से में दर्ज की जा सकेगी।
* अब कोर्ट को सुनवाई पूरी होने के 30 दिन बाद किसी भी सूरत में फैसला सुनाना होगा। 
* नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। 
* इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।