फिच ने घटाई US की क्रेडिट रैंकिंग, भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार, सेंसेक्स 676 अंक गिरकर 65,782 पर बंद

भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली के चलते निवेशकों को आज के ट्रेडिंग सेशन में 3.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

Publish: Aug 02, 2023, 06:25 PM IST

मुंबई। सुस्ती से जूझ रहे यूएस को एक और तगड़ा झका लगा है। रेटिंग एजेंसी फिच ने इसकी रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है। 2011 के बाद 12 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब US की रेटिंग घटाई गई है। अमेरिका की रेटिंग घटने का असर दुनियाभर के सेयर बाजारों पर देखने को मिला।एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भारी गिरावट के चलते भारतीय शेयर बाजार में चौतरफा बिकवाली देखी गई।

बुधवार को कारोबार में सेंसेक्स 1,000 और निफ्टी 300 अंक नीचे जा लुढ़का। सेंसेक्स 66,000 के आंकड़े के नीचे जा फिसला। निचले लेवल से बाजार में 400 अंकों के करीब रिकवरी आई इसके बावजूद बीएसई सेंसेक्स 676 अंकों की गिरावट के साथ 65,782 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 207 अंकों की गिरावट के साथ 19,514 अंकों पर बंद हुआ है।

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बुधवार को भारतीय शेयर बाजार के सभी सेक्टर के स्टॉक्स में गिरावट देखने को मिली है। बैंक निफ्टी 1.21 फीसदी, एनर्जी 1.61 फीसदी, ऑटो 1.64 फीसदी, आईटी 0.81 फीसदी, फार्मा 0.19 फीसदी, मेटल्स 2.01 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ है। निफ्टी का मिड कैप इँडेक्स 1.24 फीसदी और स्मॉल कैप 1.73 फीसदी की गिरावट के साथ क्लोज हुआ है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में केवल 4 शेयर तेजी के साथ बंद हुआ जबकि 26 शेयरों में गिरावट रही। जबकि निफ्टी के 50 शेयरों में 7 शेयर तेजी के साथ क्लोज हुआ जबकि 43 में गिरावट रही।

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शेयर बाजार में आई भरी गिरावट के चलते निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 303.29 लाख करोड़ रुपये पर बंद हुआ है जबकि पिछले ट्रेडिंग सेशन में मार्केट कैप 306.80 लाख करोड़ रुपये रहा था। यानि आज के ट्रेड में निवेशकों को 3.51 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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बता दें कि अमेरिका की कमजोर होती आर्थिक स्थिति और बढ़ते कर्ज के कारण क्रेडिट रेटिंग में गिरावट आई है। इससे पहले एसएंडपी ग्लोबल ने देश की रेटिंग घटाई थी। फिच का कहना है कि पिछले 2 दशक में देश कई बार कमजोर गवर्नेंस के चलते आर्थिक संकट से घिरा है। देश ने अगर जरूरी कदम नहीं उठाए तो यह रेटिंग और नीचे जा सकती है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि देश के मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी और खर्च से जुड़े मुद्दों को लेकर आ रही कठिनाइयों को जल्द सुलझाना होगा।