मेरा अपमान, राज्यसभा में माइक बंद होने पर कांग्रेस अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना माइक बंद होने पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ये मेरे स्वाभिमान की बात है।

Updated: Jul 26, 2023, 04:43 PM IST

नई दिल्ली। मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बरकरार है। बुधवार को भी सदन में मणिपुर हिंसा को लेकर ही हंगामा होता रहा है। इसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना माइक बंद होने पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ये मेरे स्वाभिमान की बात है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करके कहा कि मैं अपने मुद्दे सदन के सामने रख रहा था, और जब 50 लोगों ने 267 पर नोटिस दिए , मुझे संसद में बोलने का मौका भी नहीं मिला। ठीक है। लेकिन कम से कम जब मैं बोल रहा हूं तो मेरा माइक बंद कर दिया गया, ये मेरे privilege को धक्का है। ये मेरा अपमान हुआ है। मेरे स्वाभिमान को उन्होंने चुनौती किया है। और सरकार के इशारे पर अगर सदन चला तो मैं समझूंगा कि लोकतंत्र नहीं है।

बता दें कि मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में गतिरोध के बीच कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे लोकसभा में मंजूर भी कर लिया गया। स्पीकर ने कहा है कि इस पर सबसे बात करके समय तय करेंगे। नियम के मुताबिक 10 दिन के भीतर स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराएंगे।

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

जब लोकसभा में किसी विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे अंग्रेजी में नो कॉन्फिडेंस मोशन कहते हैं। संविधान में इसका उल्लेख आर्टिकल-75 में किया गया है। आर्टिकल-75 के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर मंत्रिपरिषद सदन का विश्वास खो चुका है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। 

50 सांसदों का समर्थन जरूरी

केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ़ लोकसभा में लाया जा सकता है। कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन ज़रूरी है। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर स्पीकर चर्चा के लिए दिन तय करते हैं। स्पीकर को 10 दिन के अंदर दिन तय करना ज़रूरी होता है। इसके बाद सरकार को सदन पटल पर बहुमत साबित करना ज़रूरी होता है।