MP Elections: दिल्ली में कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक संपन्न, लगभग 100 नामों पर बनी सहमति

लोकसभा का विशेष सत्र संपन्न होने के बाद कांग्रेस कभी भी जारी कर सकती है उम्मीदवारों की सूची, लगभग 100 गैर विवादित सीटों पर बनी सहमति

Updated: Sep 13, 2023, 02:04 PM IST

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस युद्ध स्तर पर जुटी हुई है। उम्मीदवार चयन को लेकर भी कांग्रेस पार्टी में मैराथन बैठकों को दौर जारी है। बुधवार सुबह नई दिल्ली स्थित कांग्रेस वॉर रूम (15 GRG) में स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों की दूसरे दौर की बैठक संपन्न हुई। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार शाम और बुधवार सुबह हुई बैठकों में 150 उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई और लगभग 100 उम्मीदवारों पर सहमति बनी।

बताया जा रहा है कि संसद का विशेष सत्र संपन्न होने के बाद कांग्रेस कभी भी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है। हालांकि, पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस कोई जल्दीबाजी में नहीं है। इस सूची में लगभग 100 गैर विवादित सीटों के प्रत्याशियों का नाम तय किया गया है। वहीं, 100 सीट ऐसे हैं जहां कांग्रेस के पास दो अथवा तीन उम्मीदवार हैं। जबकि बाकी सीटों पर तीन से अधिक दावेदारों का पैनल है। बुधवार को हुई बैठक में टिकट के क्राइटेरिया को लेकर भी कमेटी के सदस्यों में सहमति बनी।

इससे पहले दिल्ली स्थित कांग्रेस वॉर रूम में स्क्रीनिंग कमेटी की चार घंटे लंबी बैठक चली। इस बैठक में मध्य प्रदेश पीसीसी चीफ कमल नाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश के एआईसीसी प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, मध्य प्रदेश स्क्रीनिंग कमिटी के अध्यक्ष भंवर जितेंद्र सिंह, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल और कई अन्य नेता इसमें शामिल हुए।

देर रात तक चली बैठक के बाद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने औपचारिक रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई...यह एक सतत प्रक्रिया है। यह एक या दो दिन में खत्म नहीं होगी। उम्मीदवारों की घोषणा पर सुरजेवाला ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति अंतिम फैसला लेगी। उन्होंने कहा, 'स्क्रीनिंग कमेटी के बाद, यह मामला केंद्रीय चुनाव समिति के पास जाएगा और केंद्रीय चुनाव समिति ही अंतिम निर्णय लेगी।'

बता दें कि 230 सदस्यों वाले सदन में साल 2018 में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी और कमलनाथ की अगुवाई में उसने सरकार बनाई थी। हालांकि 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कई समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी से जा मिले, जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने बहुमत खो दिया था। ऐसे में इस बार कांग्रेस प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने की कोशिश में है, ताकि भविष्य में खरीद-फरोख्त की संभावना नहीं रहे। खास बात ये है कि बीजेपी में जहां टिकटों के लिये सिर फुटव्वल मचा हुआ है, लोग पार्टी छोड़ छोड़कर जा रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसबार पूरी एकजुटता और समन्वय के साथ आगे बढ़ रही है।