हरियाणा सरकार ने किसानों का रास्ता क्यों रोका, मौलिक अधिकारों में संतुलन होना चाहिए: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगभग फटकारते हुए कहा कि जब किसान दिल्ली धरना देने के लिए जा रहे हैं, तो उनको हरियाणा की तरफ से क्यों रोका जा रहा है? किसानों के भी अपने मौलिक अधिकार हैं।

Updated: Feb 13, 2024, 05:48 PM IST

चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा के किसानों के दिल्ली जाने से रोकने और प्रदर्शन के खिलाफ दायर 2 याचिकाओं पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बैंच ने यह सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों में संतुलन होना चाहिए। किसानों और आम लोगों के अपने अधिकार हैं। सरकारों को इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाना चाहिए।

याचिका में हरियाणा में इंटरनेट पर प्रतिबंध के अलावा, रास्तों को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतंत्र के स्तंभों पर आधारित है… अनुच्छेद 13 से 40 इन सिद्धांतों की पृष्ठभूमि है। मौलिक अधिकार सेंसरशिप के बिना स्वतंत्रता के प्रयोग की अनुमति देते हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को रोका है। अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सड़कों पर कीलें और बिजली के तार लगे हैं।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगभग फटकारते हुए कहा कि जब किसान दिल्ली धरना देने के लिए जा रहे हैं, तो उनको हरियाणा की तरफ से क्यों रोका जा रहा है? किसानों के भी अपने मौलिक अधिकार हैं। वह सिर्फ आपके रास्ते से गुजर रहे हैं। इस पर हरियाणा सरकार ने कहा कि किसानों ने प्रदर्शन के लिए दिल्ली सरकार से भी परमिशन नहीं ली है। उच्च न्यायालय ने अब दिल्ली सरकार से भी जवाब मांगा है।

केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सतपाल जैन ने कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार लगातार बातचीत के लिए तैयार है। दूसरी तरफ पंजाब की तरफ से पक्ष रखा गया कि किस शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे हैं तो हरियाणा ने रास्ते रोकने पर तर्क दिया कि अमन कानून की स्थिति को देखते हुए इंतेजामत किए गए हैं। हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र से मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।