वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को कैबिनेट से मिली मंजूरी, अगले हफ्ते संसद में पेश हो सकता है विधेयक
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। मीडिया सूत्रों का दावा है कि इस सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली। वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्रीय कैबिनेट ने आज यानी गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस संबंध में संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में एक व्यापक विधेयक ला सकती है। एक देश एक चुनाव पर यह लेटेस्ट डेवलपमेंट ऐसे वक्त में आया है, जब बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पुरजोर समर्थन किया था और कहा कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा आ रही है।
बता दें कि सितंबर में सरकार ने इसके लिए बनाई गई हाईलेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को चरणबद्ध तरीके से एक साथ कराने का प्रस्ताव था। सिफारिशों के अनुसार पहला बिल संविधान के अनुच्छेद 82A में संशोधन करेगा, जिससे लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति एक साथ हो सके।
इस बिल को लागू करने के लिए राज्यों से सहमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन अगर स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ करने का प्रस्ताव आता है, तो उसे कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी की आवश्यकता होगी। वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। इस पैनल ने स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च के बाद 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
बता दें कि भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
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आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।