सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी पेगासस जासूसी कांड की जांच, चीफ़ जस्टिस ने माना निजता के उल्लंघन का मामला

पेगासस जासूसी कांड को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को जमकर फटकारा, चीफ़ जस्टिस ने कहा कि हम मूक दर्शक नहीं बने रह सकते, सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में नागरिकों की जासूसी नहीं करा सकती

Updated: Oct 27, 2021, 08:15 AM IST

नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड में केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने जासूसी मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी के गठन का निर्देश दिया है, जो कोर्ट की निगरानी में जांच को अंजाम देगी। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने साफ कहा है कि हमें जासूसी मंजूर नहीं है और निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने केंद्र को फटकारते हुए कहा है कि सरकार इस पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है जो गलत है।

सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन किया है जिसे 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। इस कमेटी में जस्टिस रवींद्रन के साथ ही आलोक जोशी और संदीप ओबेरॉय को भी शामिल किया गया है। साथ ही साइबर सिक्युरिटी, फारेंसिक एक्सपर्ट, IT और टेक्निकल एक्सपर्ट्स भी जुड़े होंगे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच कर रही है।

केंद्र सरकार ने राषट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए पूरे मामले पर हलफनामा देने से इनकार कर दिया था। लेकिन कोर्ट का कहना है कि जब केंद्र सरकार का स्टैंड साफ नहीं है तो प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कोर्ट ने देश के नागरिकों की जासूसी को विवेकहीन मानते हुए यह भी कहा है कि हम मूकदर्शक नहीं रह सकते। ऐसे में पीठ ने निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन के आरोपों की जांच का फैसला किया है। 

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा है कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है। उसमें संतुलन जरूरी है। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में नागरिकों की जासूसी नहीं कर सकती है। निजता सिर्फ नेताओं और पत्रकारों के लिए नहीं बल्कि आम लोगों का भी अधिकार है। हमें किसी के भी निजता का हनन मंजूर नहीं है। प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए। पत्रकारों को सूचना मिलने के सोर्स खुले होने चाहिए, उन पर कोई रोक ना हो।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जासूसी केस में केंद्र सरकार का कोई क्लियर स्टैंड ही नहीं है। इसके पहले 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम ये जानना चाहते हैं कि क्या केंद्र सरकार ने लोगों की जासूसी के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया या नहीं? इसके पहले 5 अगस्त को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप बेहद गंभीर हैं।