Vikas Dubey Encounter : आठ सवालों में उलझ गई UP Police

Vikas Dubey Encounter Live Updates : विकास दुबे के एनकाउंटर में यूपी की पुलिस

Publish: Jul 11, 2020, 04:42 AM IST

उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा गुरुवार तड़के सुबह कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर किए जाने पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग इसे फेक एनकाउंटर बता रहे हैं वहीं कहा जा रहा है कि विकास दुबे को इसलिए मारा गया ताकि उसके संरक्षक के राज भी खत्‍म हो जाए। विकास के एनकाउंटर को सुनियोजित बताने वाले कई प्रश्न पूछे जा रहे हैं जिसका जवाब उत्तरप्रदेश पुलिस अबतक नहीं दे पाई है।

इन वजहों से उठ रहे हैं एनकाउंटर पर सवाल :-

1. विकास दुबे की कार को कब और क्यों बदला गया ? 

दरअसल, सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों में विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद के जो वीडियो दिखाए जा रहे हैं उनमें वह टाटा सफारी कार में बैठा हुआ था। एनकाउंटर के कुछ देर पहले ही टोल प्लाजा के पास का एक वीडियो सामने आया है जिसमें विकास दुबे सफारी में बैठा हुआ था। अस्पताल से लेकर थाने तक हर जगह उसे सफारी से ले जाया गया। लेकिन जो गाड़ी पलटी है वह टीयूवी 300 है। सवाल यह है कि विकास ने गाड़ी कब बदलवाई गई। 

2. पुलिस के काफिले का पीछा कर रहे मीडिया की गाड़ियों को घटनास्थल से 2 किलोमीटर पहले क्यों रोका गया ? 

मीडियाकर्मियों को रोकना भी इस एनकाउंटर को संदेहास्पद बनाता है। बता दें कि विकास को पुलिस जब ले जा रही थी उस दौरान पुलिस के काफिले के साथ दर्जनों पत्रकारों की गाड़ियां थी जो विकास और पुलिस की हर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थी। आजतक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक आजतक न्यूज़ चैनल की गाड़ी को एनकाउंटर से ठीक पहले चेक करने के लिए रोक दिया गया था।

3. क्या एनकाउंटर का कोई वीडियो न बना ले इसलिए पत्रकारों को देर तक रोक गया ?

प्रमुख हिंदी न्यूज़ चैनल के एक पत्रकार ने नाम न बताने के शर्त पर द वायर को बताया है कि, 'मैं और मेरे कैमरामैन दोनों विकास की गाड़ी के ठीक पीछे थे। अचानक से हम सभी को रोक दिया गया। इस दौरान पुलिस आईडी कार्ड, मीडिया हाउसेज के डिटेल्स और वाहन चेकिंग के नाम पर हमें काफी देर तक उलझाए रखी। कल रात से दर्जनों पत्रकारों की गाड़ियां विकास के काफिले का पीछा कर रही थी। लेकिन वाहन चेकिंग के नाम पर जब हमें रोका गया उस दौरान विकास दुबे मारा गया।' उन्होंने यह भी बताया है कि इसके पहले ट्रैफिक बिल्कुल स्मूथ था लेकिन एनकाउंटर के दौरान अचानक रास्ते जाम हो गए थे।

4. दुर्घटना की आवाज किसी ने क्यों नहीं सुनी ?

न्यूज़ चैनल एनडीटीवी ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से जानकारी दी है कि लोगों को गोलियों की आवाज तो सुनाई दी लेकिन उसके पहले गाड़ी पलटने की आवाज किसी ने नहीं सुनी। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें घटनास्थल से चले जाने के लिए कहा था।

5. कार ऐसे जगह पलटी जहां कोई बैरियर नहीं था

विकास दुबे एनकाउंटर को सुनियोजित बताने के लिए एक घटनास्थल की वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। घटनास्थल के वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कार जहां पलटी वहां कोई बैरियर या डिवाइडर है ही नहीं। कार के चारो दरवाजे तक बंद थे। सड़क की हालत देखकर यह प्रतीत होता है कि खुले खेत मे इतनी धीरे कोई गाड़ी नहीं पलट सकती की वह अच्छी स्थिति में पड़ी रहे। जबकि पुलिस ने बताया है कि तेज रफ्तार में होने के कारण गाड़ी बैरियर से टकराई और पलट गई।

6. इतने शातिर अपराधी को हथकड़ी क्यों नहीं पहनाई गयी? 

पुलिस का कहना है कि वह कार पलटने के बाद पुलिसकर्मी की पिस्‍टल छीनकर भाग रहा था।  जब विकास दुबे पर हत्या समेत 60 अन्य गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे कुख्यात और खतरनाक अपराधी को बिना हथकड़ियां पहनाए क्यों ले जाया जा रहा था वो भी उस समय जब चंद दिनों पहले उसने आठ पुलिसकर्मियों की जान ली थी।

7. गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे के शरीर पर कोई खरोंच क्यों नहीं आई ?

बताया जा रहा है कि गाड़ी पलटने से चार पुलिसकर्मी जख्मी हो गए हैं जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां सवाल यह उठता है कि गाड़ी में विकास भी मौजूद था लेकिन उसे कोई खरोंच क्यों नहीं आई। यहां तक कि जब उसे अस्पताल लाया गया तब मृत्यु होने तक उसके चेहरे से मास्क तक नहीं हटा। वह जस का तस था।

8. क्या खुले में कोई अपराधी भागने का प्रयास करेगा?

विकास दुबे के एनकाउंटर में एक सवाल यह भी है कि कोई अपराधी वह भी जब वह विकास दुबे जैसा खतरनाक है और जिसे यह पता हो कि भागने के प्रयास करने पर पुलिस उसे मार सकती है ऐसे में खुले खेत में क्या वह भागने का प्रयास करेगा? चूंकि घटनास्थल के चारों तरफ़ खुले खेत हैं और सामने रोड है। वहां कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां विकास दुबे छिप सके। तब उसने भागने का जोखिम क्‍यों लिया?

केरल के पूर्व डीजीपी एनसी अस्थाना ने भी इस एनकाउंटर को पूरी तरह से स्क्रिप्टेड बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'पुलिस ने एक बार फिर वही बेवकूफी भरी कहानी बनाई है जो इसके पहले उन्होंने अपने सहयोगी के लिए रखी थी। 'हथियार छिनने और भागने की कोशिश की'। बस इस समय स्क्रिप्ट में थोड़ी बदलाव हुई जिसके तहत इसबार गाड़ी पंक्चर होने के जगह पलट गई। इस अविश्वसनीय घटना पर कौन विश्वास करेगा ?' 

 

 

अस्थाना ने उत्तरप्रदेश पुलिस पर तंज कसते हुए कहा है कि वे कोई बेहतर कहानी पका सकते थे। जैसे, जब काफिला ढाबे पर चाय पी रही थी तो उसे किसी सांप ने काट लिया, अपराधबोध से उसने खुद को गोली मार दी, ट्रक के सामने कूद गया या फिर सायनाइड का कैप्सूल खा लिया।