संविधान सबका संरक्षक, इसके रक्षा की जिम्मेदारी हम सबकी, यह आधुनिक भारत का धर्म ग्रंथ है: राज्यपाल मंगूभाई पटेल

राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि संविधान को देश के हर नागरिक ने अंगीकृत किया है, इसलिए संविधान के वास्तविक संरक्षक हम भारत के लोग ही हैं।

Updated: Nov 27, 2024, 09:25 AM IST

भोपाल। भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने का यह 75वां वर्ष है। मंगलवार को संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर भोपाल के रवीन्द्र भवन में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि संविधान आधुनिक भारत का धर्म ग्रंथ है।

राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा, 'संविधान दिवस के ऐतिहासिक अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना गर्व की बात है। आज का दिन हम सब भारतीयों के लिए गर्व और प्रसन्नता का दिन है। आज का दिन विश्व व्यापी मूल्यों की पारस्परिक समझ का अवसर और उत्सव है। इस वर्ष संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इसके चलते यह वर्ष और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इस महत्व को देखते हुए इस वर्ष को "हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान" अभियान के रूप में मनाने का निर्णय किया गया है।'

कार्यक्रम में राज्यपाल ने आगे कहा, 'संविधान दिवस के पावन प्रसंग पर भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के सभी महान व्यक्तियों का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हें नमन करता हूं। जिनकी अद्भुत दिव्य दृष्टि के प्रयासों ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है जो सभी नागरिकों की समानता स्वतंत्रता और न्याय प्रदान करता है। संविधान स्वतंत्र भारत का आधुनिक धर्म ग्रंथ है जो हम सब का मार्गदर्शक है।'

राज्यपाल ने कहा कि संविधान को देश के हर नागरिक ने अंगीकृत किया है, इसलिए संविधान के वास्तविक संरक्षक हम भारत के लोग ही हैं। संविधान जहां एक और नागरिकों को सशक्त करता है, वहीं दूसरी ओर नागरिक भी अपने आचरण और व्यवहार से संविधान का संवर्द्धन और संरक्षण करते हैं। संविधान किसी एक का नहीं बल्कि सभी का संरक्षक है। इसलिए उसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएस अनुराग जैन ने कहा कि संविधान की रचना के प्रमुख सूत्रधार बाबासाहब ने पार्लियामेंट में कहा था कि ये केवल एक कानूनी दस्तावेज नही है। ये हमारे युग की भावनाओं का प्रतिबिंब है। 389 लोगों की संविधान सभा बनी। फिर पार्टीशन हो गया। 299 सदस्य रह गए। 1946 में संविधान सभा ने संविधान लिखने का काम शुरू किया। उन 299 में से 29 हमारे आज के मप्र से ताल्लुक रखते हैं। ये दिखाता है कि संविधान को लिखने में मप्र का कितना योगदान रहा है।