National Unemployment Day: 1 करोड़ को नौकरी की जरूरत, मौके सिर्फ 1.77 लाख
Rahul Gandhi: राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के रूप में मना रहे हैं पीएम मोदी का जन्मदिन, देश में बेरोजगारी के भयावह हालात, राहुल गांधी का केंद्र पर निशाना

नई दिल्ली। देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसी संबंध में कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने एक खबर साझा करते हुए देश में बेरोजगारी के भयावह हालात को रेखांकित किया।
राहुल गांधी ने जो खबर साझा की उसके मुताबिक फिलहाल देश में 1 करोड़ से अधिक लोग नौकरी मांग रहे हैं लेकिन उपलब्ध मौके सिर्फ 1.77 लाख हैं। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, "यही कारण है कि देश का युवा आज राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस मनाने को मजबूर है। रोजगार सम्मान है। सरकार कब तक यह सम्मान देने से पीछे हटेगी?"
कांग्रेस पार्टी लगातार अर्थव्यवस्था, कृषि संकट और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेर रही है। पार्टी ने आज राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस मनाने की भी योजना बनाई है। इसके तहत शाम पांच बजे 17 मिनट पर ताली थाली बजाई जाएगी। बेरोजगार युवा पहले भी पांच सितंबर और 9 सितंबर को इस तरह की मुहिम चला चुके हैं।
यही कारण है कि देश का युवा आज #राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस मनाने पर मजबूर है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 17, 2020
रोज़गार सम्मान है।
सरकार कब तक ये सम्मान देने से पीछे हटेगी?
Massive unemployment has forced the youth to call today #NationalUnemploymentDay.
Employment is dignity.
For how long will the Govt deny it? pic.twitter.com/FC2mQAW3oJ
दरअसल, एसएससी, रेलवे और दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम या तो लटके पड़े हैं या फिर परीक्षाएं ही नहीं हुई हैं। ऐसे में इनकी तैयारी कर रहे छात्रों में रोष है। उन्होंने पहली बार इसका प्रदर्शन 30 अगस्त को पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम के दौरान किया था। जैसे ही ये प्रोग्राम यूट्यूब पर डाला गया, वैसे ही लाखों छात्रों ने इसे डिसलाइक कर दिया। इसके बाद तो डिसलाइक की बयार बह निकली। सत्ताधारी बीजेपी के हर वीडियो का कमोबेश यही हाल होने लगा।
सरकारी क्षेत्र के अलावा निजी क्षेत्र में भी बेरोजगारी चरम पर है। सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के मुताबिक अप्रैल से लेकर जुलाई में 12 करोड़ नौजरियाँ जा चुकी हैं। इसमें संगठित क्षेत्र भी शामिल है। वहीं सरकारी डेटा के मुताबिक अगस्त में बेरोजगारी दर 9 प्रतिशत से ऊपर पहुंच चुकी है।
जो रोजगार में हैं वे कामकाजी शोषण का शिकार
बेरोजगारी की बात करें, तो यह भी समझा जाना चाहिए कि जो रोजगार है या जो रोजगार में हैं, वे भी कोई सुख में नहीं हैं। वेतन पर काम करनेवाले करीब 99 फीसदी लोगों की कमाई महीने में 50 हजार से कम है यानि यदि आपका वेतन 50 हजार मासिक से अधिक है, तो आप भारत के वेतनभोगी समूह के शीर्ष एक फीसदी में शामिल हैं। कार्यबल में शामिल 86 फीसदी पुरुषों और 94 फीसदी महिलाओं की महीने की कमाई 10 हजार रुपये से कम हैं। देश के सभी किसानों की आबादी में 86.2 फीसदी के पास दो हेक्टेयर से कम जमीन है। इस हिस्से के पास फिर भी फसल उगानेवाली कुल जमीन का केवल 47.3 फीसदी ही है। आबादी के निचले 60 फीसदी के पास देश की संपत्ति का 4.8 फ़ीसदी हिस्सा है। देश की सबसे गरीब 10 फीसदी आबादी 2004 के बाद से लगातार कर्ज में है। ये आंकड़े कोरोना संकट से पहले के हैं।
रोजगार में वेतन, सुविधाओं, सामाजिक सुरक्षा, अवकाश आदि को लेकर भारत का हिसाब भयावह है, शर्मनाक है। काम की गुणवत्ता और कमाई का मामला बेहद चिंताजनक है। खैर, सबसे बुरी दशा उसकी है, जो कामकाजी शोषण का शिकार नहीं है यानी कि बेरोजगार। कहने का मतलब कि उसकी हालत सबसे अधिक खराब है, जो इस व्यवस्था का शोषित नहीं है। क्या विडंबना है! जो अच्छी कमाई में हैं, उनके और ग़रीबी के बीच में एक बेहद पतली दीवार है- महीने के वेतन का चेक। दीवार गिरी, मामला चौपट। कारोबार आदि की खबरें तो हमारे सामने हैं ही।