जी भाईसाहब जी: क्लास लगाई तो दिखाया पीएम मोदी का डर, कड़क नसीहत हवा हवाई
MP Politics: बीजेपी ने अपने पांच नेताओं को भोपाल बुला कर नसीहत दी थी। ये वे नेता हैं जिनके बोलने और कार्य के कारण पार्टी बदनाम हो रही है और पार्टी में विवाद बढ़ रहा है। इन में से एक विधायक ने तो पार्टी की नसीहतों को नजरअंदाज करते हुए अपने तीखे तेवर बरकरार रखे हैं।

नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा का इंतजार कर रही बीजेपी में इस देरी से कई नुकसान भी हो रहे हैं। संगठन स्तर पर कई जरूरी निर्णय अटके हुए हैं। ऐसे में अलग अलग क्षेत्रों में अनुशासनहीनता भी बढ़ रही हैं। पानी सिर से ऊपर गया तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सक्रिय हुए। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, संगठन महामंत्री की उपस्थिति में 2 विधायकों सहित पांच नेताओं की क्लास लगाई गई। अपने बयानों से पार्टी को संकट में डालने वाले मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल व पिछोर विधायक प्रीतम लोधी, पार्टी नेतृत्व को सूचना दिए बगैर महापौर परिषद का पुनर्गठन करने वालीं सागर महापौर संगीता तिवारी, देवास की महापौर गीता अग्रवाल और बीना नगर पालिका अध्यक्ष लता सकवार को पार्टी दफ्तर बुलाया गया।
इन सभी को पार्टी ने कड़ा संदेश दिया। साफ-साफ कहा गया कि उनकी कहे और किए पर पार्टी की नजर है। जिस काम से पार्टी बदनाम होगी उस काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी संदेश को आगे बढ़ाते हुए महिला से छेड़छाड़ मामले में सतना भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
कमरे में हुई इस क्लास का असर बाकी पर तो हुआ और बाहर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन विधायक प्रीतम लोधी ने इस क्लास में मिले कड़क संदेश की ही हवा निकाल दी। बैठक में भी और बाहर भी विधायक प्रीतम लोधी ने कहा कि मैं राजनीति में अनपढ़ हूं। इसलिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने मुझे पढ़ाने के लिए बुलाया था। मीडिया से रूबरू विधायक प्रीतम लोधी ने कहा कि पार्टी नेताओं ने क्लास में जो पाठ पढ़ाया वह याद रखूंगा लेकिन उन्होंने पार्टी नेताओं से कह दिया है कि यही सबक क्षेत्र के अफसरों को भी दो। उन्होंने अपने क्षेत्र की जनता के मुद्दों को पार्टी नेताओं के समक्ष रखा है। यदि अफसरशाही नहीं सुधरी और कार्यकर्ता परेशान हुए तो चुप नहीं बैठूंगा। कार्यकर्ताओं के लिए लड़ता रहूंगा। पार्टी नहीं सुनेगी तो मोदी जी के पास जाऊंगा। पांच हजार से ज्यादा कार्यकर्ता साथ जाने के लिए तैयार बैठे हैं।
विधायक प्रीतम लोधी वही नेता हैं जिन्हें बागेश्वरधाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ दिए गए बयान के बाद अगस्त 22 में पार्टी ने निष्कासित कर दिया था। चुनाव और लोधी वोट के गणित को देखते हुए फरवरी 23 में प्रीतम लोधी की बीजेपी में वापसी हो गई थी। पिछोर से चुनाव लड़ कर वे विधायक बने। लोधी वोट बैंक के कारण पहले भी पार्टी ने प्रीतम लोधी के कहे को माफ किया था। वे कड़वे बोल अब भी बोल रहे हैं और पार्टी को तीखे तेवर दिखला रहे हैं।
ऐसा करने वाले वे पहले विधायक नहीं है। इसके पहले बीते बजट सत्र में विधानसभा में आलोट विधायक चिंतामणि मालवीय ने सिंहस्थ के लिए बनाई जा रही स्थाई स्पिरिचुअल सिटी का विरोध जताया था। इसके बाद उन्हें बीजेपी ने नोटिस जारी किया था। तब भी विधायक चिंतामणि मालवीय ने कहा था कि यह पार्टी और मेरे बीच का मामला है। इसमें माफी जैसा कोई सवाल नहीं है। उज्जैन के किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। किसान आंदोलन समिति भी बनाई गई है। किसानों के इस मामले में पुनर्विचार होना चाहिए। प्रीतम लोधी की तरह वे भी जनता के साथ होने का तर्क दे कर अपने बयानों पर काम रहे।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने खोले प्रदेश में भ्रष्टाचार के राज .
मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल का एक बयान फिर चर्चा में है। खंडवा में कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद पटेल ने सरपंच व सचिवों से कहा है कि उनके पास नाली, सीसी सड़क, बाउंड्रीवॉल और स्टॉप डैम का पैसा मांगने मत आना। जनता को भीख की आदत हो गई है जैसे बयान के बाद इस बयान ने भी सब का ध्यान खींचा मगर असली मामला कुछ ओर है।
असल में मंत्री अपने विभाग में भ्रष्टाचार से नाराज हैं। पंचायत विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि मध्य प्रदेश में स्टॉप डैम अगर ईमानदारी से बनते तो एक भी नदी-नाला सूखा नहीं मिलता। इस राज्य में कागजों में इतने स्टॉप डैम बने हैं कि हर 50 मीटर में नदी-नाले में स्टॉप डैम मिल जाना चाहिए, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है।
मंत्री प्रहलाद पटेल ने भले ही यह कहा कि हम मुर्दे खोदने नहीं आए कि हम पीछे पलटकर देखेंगे। हमें रुक कर देखना और समझना पड़ेगा। उनका यह इशारा भ्रष्टाचार की तरफ था। प्रदेश में बीते दशक से बीजेपी की सरकार है। इस बार सरकार ने जल संवर्द्धन और सिंचाई योजनाओं के रिकार्ड क्रियान्वयन और जल उपब्धता के दावे किए हैं। लेकिन मंच से स्वयं मंत्री प्रहलाद पटेल ने स्वीकार किया कि नदी-नालों के सूखने की वजह ईमानदारी से स्टॉप डैम नहीं बनना है। इसीलिए उन्होंने कामों के लिए पैसे मांगने आने वालों को रोक दिया। मंत्री प्रहलाद पटेल सवाल उठा कर उस सिस्टम की ओर इशारा कर रहे हैं जिस सिस्टम में भ्रष्टाचार शिष्टाचार का रूप ले चुका है। ऐसी ही व्यवस्था से नाराज हो कर उन्होंने बीते दिनों पौध रोपण से इंकार कर दिया था। मंत्री प्रहलाद पटेल का तर्क था कि जब इतनी तेज गर्मी में पौध लगाने का क्या फायदा। उन्होंने अफसरों को फटकारते हुए पौधरोपण की नौटंकी नहीं करने के लिए कहा था।
बागेश्वरधाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का इंटेलीजेंस
अपने बयानों और हिन्दू ग्राम के कारण चर्चा में रहने वाले पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का एक प्रस्ताव इनदिनों सुर्खियों में है। पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने वायरल हुए एक वीडियो में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को प्रस्ताव देते हुए दिखाई दे रहे हैं कि “हम तो देश के रक्षा मंत्री को भी कहेंगे, आप हमारी शक्ति की सहायता ले सकते हैं… देखो हम ऑफिशियल अफसर तो नहीं बन सकते क्योंकि पढ़े-लिखे नहीं हैं लेकिन हमारे पास जो चेतना है और हनुमानजी की कृपा है, आप उसका सदुपयोग करिए। आने वाले समय में कहां कौन सी संभावित घटना हो सकती है… उस पर आप हमारी शक्ति का सदुपयोग करिए।
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि वे अपनी शक्तियों को गोपनीय रूप से बताएंगे। उन्होंने बताया कि वे गोपनीय रूप से राष्ट्रहित में काम शुरू कर रहे हैं जिससे देश का हित हो। खुलकर बताएंगे, तो कोई मुझे ही उड़ा देगा...।
अब यह प्रस्ताव भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक पहुंचा या नहीं इस बात की तो जानकारी नहीं है लेकिन पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के अनुयायियों का मानना है कि सरकार को यह प्रस्ताव झट से मान लेना चाहिए। ऐसा करने से इंटेलीजेंस फेल्यर का नुकसान नहीं उठाना होगा।
मन से जुड़े मंच से नहीं
ग्वालियर में सोमवार को संविधान बचाओ रैली में वरिष्ठ कांग्रेस नेता राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने एक घोषणा कर सबको चौंका दिया। उन्होंने अपने भाषण में इस हालत पर न सिर्फ अपनी नाखुशी जाहिर की, बल्कि ऐलान भी कर दिया कि वे आज के बाद से कभी भी मंच पर नहीं बैठेंगे। उनका तर्क है कि मंच पर भीड़ इकट्ठा करने से कुछ नहीं होगा। पार्टी को सशक्त बनाने के लिए कार्यकर्ताओं के बीच जाना होगा।
इस तरह कार्यकर्ताओं से संवाद, संपर्क और समन्वयन के लिए उनके बीच जाने की पहल स्वयं दिग्विजय सिंह ने की और कहा कि अब वे बुलाने पर भाषण देने ही मंच पर जाएंगे अन्यथा कार्यकर्ताओं के साथ नीचे बैठेंगे। गौरतलब है आयोजनों में स्वागत की परंपरा को तोड़ कर सादगी पूर्ण संवाद की नजीर भी दिग्विजय सिंह ने ही दी है। वे बरसों से इस नियम का पालन कर रहे हैं और अब कार्यकर्ताओं को इन नियमों के पालन की आदत भी हो गई है।
एक तरफ, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की यह पहल है तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी का एक बयान चर्चा में है। कांग्रेस की एक बैठक में प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा है कि सबको साथ मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने में जुटना चाहिए। आज के समय में कांग्रेस को अर्जुन सिंह जैसे नेताओं की जरूरत है। अर्जुन सिंह सबको साथ लेकर चलते थे। उसी स्तर पर सभी नेताओं को काम करने की जरूरत है।
जरूरत भी इसी बात की है। कांग्रेस के पास समपर्ति कार्यकर्ता हैं लेकिन अनदेखी और समन्वय के अभाव में ये कार्यकर्ता स्वयं का उपेक्षित महसूस करते हैं। कई बैठकों में अंर्तकलह और भितरघात की शिकायतें हुई हैं लेकिन पहल के स्तर पर मामला शून्य ही रहता है। मंच से उतर कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचने और समर्पित कार्यकर्ताओं की पहचान की जरूरत को रेखांकित करने से कार्यकर्ताओं की उम्मीद बढ़ गई है।