कर्ज के दलदल में धंसती जा रही MP सरकार, 15 दिन में दूसरी बार 5000 करोड़ का ऋण लेने की तैयारी
हाल ही में CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार कर्ज के दलदल में धंसती जा रही है। डाॅ. मोहन यादव सरकार पंद्रह दिनों के भीतर एक बार फिर पांच हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। कर्ज की यह राशि दो अलग-अलग कर्ज के रूप में ली जा रही है, जो 2500-2500 करोड़ रुपए की है। इसके पहले 24 सितंबर को 2500-2500 करोड़ के दो लोन राज्य सरकार ने लिए थे।
मंगलवार को लिया जाने वाला पहला 2500 करोड़ रुपए का कर्ज 11 साल के लिए होगा। सरकार ब्याज समेत इस राशि का भुगतान अक्टूबर 2035 तक करेगी। दूसरा कर्ज 2500 करोड़ का होगा जो 19 साल के लिए लिया जा रहा है। इस कर्ज का भुगतान ब्याज के साथ अक्टूबर 2043 तक किया जाएगा।
बता दें कि मध्य प्रदेश की जनता पर 31 मार्च 2024 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज था। एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक बीजेपी सरकार ने एक साल में 44 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। इसके पहले 31 मार्च 2023 को सरकार पर कर्ज की राशि 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक थी।
मंगलवार को लिए जाने वाले कर्ज के बाद मोहन यादव सरकार पर चालू वित्त वर्ष में कर्ज का आंकड़ा 20 हजार करोड़ पहुंच जाएगा। जबकि राज्य सरकार पर कुल कर्ज 3 लाख 95 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार का बजट करीब 4 लाख करोड़ का बजट है और उतना ही कर्ज भी पहुंच गया है। मध्य प्रदेश की वित्तीय स्थिति पहले ही चिंताजनक है अब एक और नया कर्ज, एमपी सरकार के वित्तीय संकट के दलदल में फंसने का इशारा कर रहा है।
हाल ही में CAG ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के बढ़ते राजकोषीय घाटे पर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकार को ज्यादा कर्ज लेने के बजाय राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही, नुकसान उठा रहे उपक्रमाें के कामकाज की समीक्षा कर उनमें सुधार की रणनीति बनाई जाना चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमान और वास्तविक बजट के बीच के अंतर को काम किया जा सके।