वन रैंक वन पेंशन मामले में सील कवर लेने से SC का इनकार, 30 अप्रैल तक बकाया भुगतान देने का निर्देश

सुप्रीम काेर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि फैमिली पेंशनर्स और शौर्य पुरस्कार विजेताओं को 30 अप्रैल 2023 तक वन रैंक वन पेंशन के तहत एरियर यानी बकाया भुगतान करें।

Updated: Mar 20, 2023, 02:30 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) मामले में केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। सर्वोच्च अदालत ने पेंशन भुगतान को लेकर रक्षा मंत्रालय की सील कवर रिपोर्ट को लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हम सील कवर या गोपनीय रिपोर्ट स्वीकार नहीं करेंगे। अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया है कि कहा कि वह 30 अप्रैल 2023 तक 6 लाख फैमिली पेंशनर और गेलेंटरी अवार्ड वाले पेंशनरों को एकमुश्त पेंशन दें।

न्यायालय ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि 70 साल से ऊपर वालों को 30 जून तक पेंशन दें। ये केंद्र के ऊपर है कि वो इस समय सीमा में एकमुश्त पेंशन दे या फिर किश्तों में। वहीं अन्य पेंशनभोगियों की बकाया राशि का भुगतान 30 अगस्त 2023, 30 नवंबर 2023 और 28 फरवरी 2024 को या उससे पहले समान किश्तों में करे। यानी 28 फरवरी तक केंद्र को सारे ड्यूज क्लियर करने होंगे।

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देश में पेंशन पाने वालों की संख्या 25 लाख के आसपास है, जिसका एरियर करीब 28 हजार करोड़ रुपये है। यह एरियर 2019 से दिया जाना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ये भुगतान एक साथ करने में असमर्थता जता चुका है। केंद्र ने अदालत में प्रस्ताव दिया कि तीन और किश्तों में यह भुगतान इस साल 31 सितंबर, 31 दिसंबर और 31 मार्च, 2024 को कर दिया जाएगा। हालांकि, अदालत के आदेश के तहत केंद्र सरकार यह भुगतान करने को बाध्य है।

मामले की सुनवाई के दौरानसुप्रीम कोर्ट ने पेंशन भुगतान को लेकर रक्षा मंत्रालय की सील कवर रिपोर्ट को लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि हम सील कवर या गोपनीय रिपोर्ट स्वीकार नहीं करेंगे। CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल वेंकटरमनी को कहा कि वह सीलबंद लिफाफों की प्रथा के खिलाफ हैं। क्योंकि यह निष्पक्ष न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। सीजेआई ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद कवर बिजनेस को खत्म करना चाहते हैं, क्योंकि अब हाईकोर्ट भी इसका इस्तेमाल करने लगेंगे। नयालय ने केंद्र से कहा कि आप या तो विरोधी पक्ष को इसकी कॉपी दीजिए या फिर उन्हें चेंबर में ले जाकर जानकारी दें। इस मामले में कोई गोपनीयता नहीं हो सकती है।