इंदौर में भिखारियों को भीख देने पर होगी जेल, भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने कलेक्टर का फरमान

इंदौर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने भिखारियों का रेस्क्यू कार्य जारी है। वहीं लोगों को भी भीख नहीं देने के लिए जागरूक किया जा रहा है। 1 जनवरी से नियमों को सख्त किया जाएगा।

Updated: Dec 17, 2024, 02:43 PM IST

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को अब भिखारी मुक्त शहर बनाने की पहल तेज हो गई है। शहर में भीख मांगने वालों को पकड़कर आश्रय स्थल भेजा जा रहा है। वहीं, अब लोगों को भीख देना भी भारी पड़ सकता है। अब शहर में भीख देने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति भीख देते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार किया जा सकता है।

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए अभी तक जन जागरण अभियान चल रहा था। लेकिन अब दिसंबर के अंत तक भिखारियों के खिलाफ सघन कार्रवाई होगी। जिसमें भिखारी की धर पकड़ के अलावा उन्हें आश्रय स्थल भेजा जाएगा। वहीं योग्य भिखारी को स्वरोजगार आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद भी आदतन जो लोग भीख मांगने चौराहों पर खड़े होते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। वहीं, 1 जनवरी से यदि कोई भीख देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ भी FIR होगी।

बताया जा रहा है कि इंदौर से बड़े पैमाने पर भिक्षुकों को उज्जैन स्थित सेवा धाम आश्रम भेजा गया है। भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हाल ही में एक महिला के पास 75 हजार रुपए मिले थे। जबकि इससे पूर्व भी एक अन्य भिक्षुक के पास 1 लाख से अधिक राशि पाई गई थी। ऐसे कई भिक्षुक हैं, जो आदतन भिक्षावृत्ति करते हैं और इसे रोजगार बना लिया है।

वहीं, बड़ी संख्या में हर साल पड़ोसी राज्यों और आसपास के जिलों से भिखारी आकर शहर के चौराहों और सड़कों पर डेरा डालते हैं, जो आए दिन वाहन चालकों को रोककर भीख मांगते नजर आते हैं। हालांकि, जब इन पर कार्रवाई होती है तो यह अपना क्षेत्र बदल लेते हैं। बहरहाल, इंदौर कलेक्टर ने शहर के सभी निवासियों से अपील की कि वे भिखारियों को पैसे देकर इस पाप के भागीदार न बनें।

बता दें कि केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की कोशिश हो रही है। इस प्रोजेक्ट में 10 शहर शामिल हैं: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद। भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान के दौरान, इंदौर प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। प्रोजेक्ट अधिकारी दिनेश मिश्रा ने कहा कि जब हम रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो हम पाते हैं कि कुछ भिखारियों के पास पक्का मकान है। साथ ही कुछ के बच्चे बैंक में काम करते हैं।

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मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि इंदौर का एक संगठन सरकार के इस प्रयास में मदद के लिए आगे आया है। यह संगठन उन्हें छह महीने तक आश्रय प्रदान करेगा और उनके लिए काम खोजने की कोशिश करेगा। हम लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है जो इंदौर को वास्तव में भिखारी-मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं।उन्होंने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे, तो यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाएगी।