पूरे देश पर पड़ेगा असर, नताशा, देवांगना व आसिफ की जमानत पर SC का दखल से इनकार

दिल्ली हिंसा मामले में कल रात छात्र एक्टिविस्ट आए जमानत पर बाहर, दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, शीर्ष न्यायालय ने छात्र एक्टिविस्टों को भेजा नोटिस

Updated: Jun 18, 2021, 10:25 AM IST

Photo Courtesy : The Indian Express
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नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा मामले में तीन छात्र एक्टिविस्टों की जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। शीर्ष न्यायालय ने छात्र एक्टिविस्ट नताशा, देवांगना व आसिफ़ की जमानत रद्द करने से साफ तौर से इनकार कर दिया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले का पूरे देश पर असर पड़ेगा और वे तीनों अब बाहर आ गए हैं, उनकी जमानत रद्द नहीं किया जा सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, 'जिस तरह से सभी को जमानत मिली है उसे अन्य मामलों में मिसाल के तौर पर पेश नहीं किया जाएगा। यह मुद्दा बेहद महत्‍वपूर्ण है और इसका पूरे देश पर प्रभाव हो सकता है, हम इस मामले में नोटिस जारी कर रहे हैं।' इसके साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह दिल्‍ली हाईकोर्ट के फैसले पर इस समय दखल नहीं देगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की जांच करने को तैयार हो गया है।

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इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि, 'दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से देश में UAPA के सभी मामले प्रभावित होंगे, इसलिए आदेश पर रोक लगना चाहिए। अब तीनों बाहर हैं तो उन्हें बाहर रहने दीजिए, लेकिन फैसले पर रोक लगना चाहिए। असहमति और विरोध का मतलब लोगों की जान लेना नहीं होता। ऐसे तो जिस महिला ने पूर्व पीएम को धमाके में उड़ा दिया, वह भी विरोध कर रही थी।' 

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को UAPA के तहत दिल्ली हिंसा मामले में जेल में बंद पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दे दी थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा था कि सरकार ने प्रदर्शन के अधिकार और आतंकी गतिविधि के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने UAPA को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि यदि इस तरह की मनोवृत्ति जारी रही तो यह लोकतंत्र के लिए दुखद होगा। 

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उच्च न्यायालय से बेल मिलने के बाद भी तीनों छात्रों को 36 घंटे तक रिहा नहीं किया गया था। जिससे दिल्ली पुलिस की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे थे। हालांकि, बाद में कोर्ट के सख्त टिप्पणी पर उन्हें रिहा किया गया। गुरुवार शाम तीनों छात्र एक्टिविस्ट जब तिहाड़ जेल से बाहर आए उस वक्त उनके स्वागत के लिए सैंकड़ो की संख्या में छात्र तिहाड़ गेट पर मौजूद थे और नारेबाजी कर रहे थे। 

'सारे पिंजरे तोड़ेंगे, इतिहास की धारा मोड़ेंगे' तिहाड़ के बाहर इस नारे की गूंज उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए काफी थे। करीब एक साल बाद जेल से बाहर आने के बाद देवांगना ने मीडिया से कहा कि, ,'मैं दिल्ली हाई कोर्ट का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। जो हो रहा है बस सरकार की हताशा को दर्शाता है। हम उनमें से नहीं जो इन सबसे डर जाएं। हम लोग इसलिए सरवाइव कर पाए क्योंकि हमें आप सब का पूरा सपोर्ट मिला।' 

इस दौरान पिंजरा तोड़ एक्टिविस्ट नताशा नरवाल ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है उससे हमारी उम्मीदें बढ़ी हैं। भारतीय न्याय व्यवस्था को लेकर लोगों का विश्वास और भी ज्यादा मजबूत हुआ है। आगे और भी लड़ाई बाकी है।' कोरोना के दूसरी लहर के दौरान नताशा के पिता का निधन हो गया था। नताशा उस वक़्त जेल में ही थी और उनके पिता का अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। इसके बाद नताशा को कोर्ट ने पिता की अंतिम संस्कार के लिए जमानत दी थी। नताशा ने कोर्ट से बाहर आते ही अपने पिता को याद करते हुए देश के उन सभी लोगों के लिए दुख जताया जिन्होंने इस महामारी से अपनों को खोया है।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तनहा ने बाहर आने के बाद वकीलों का शुक्रिया किया। उन्होंने कहा मैं उन सभी वकीलों व अन्य लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, जो हमारी रिहाई के लिए लड़े। सीएए और एनआरसी पर जो हमारी लड़ाई थी वो जारी रहेगी। हम अपने वजूद की लड़ाई आगे भी लड़ते रहेंगे। इसके अलावा जो लोग अब भी जेल में बंद हैं उनके रिहाई के लिए भी आंदोलन चलेगा।'