जोशीमठ में तबाही का खतरा, धंस रही जमीन, 500 से ज्यादा घरों में आई दरारें, लोगों को रैन बसेरों में किया गया शिफ्ट

जोशीमठ में भू-धंसाव को देखते हुए प्रभावित लोगों को रैन बसेरों में शिफ्ट किया जा रहा है। भूस्खलन से क्षतिग्रस्त होटलों में पर्यटकों के ठहरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

Updated: Jan 06, 2023, 07:35 AM IST

खटीमा। उत्तराखंड के जोशीमठ में तबाही का खतरा गहराने लगा है। यहां जमीन धंसने के कारण 561 घरों में दरारें आ गई हैं। जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि घरों में दरारें आने के बाद अब तक कुल 66 परिवार जोशीमठ से पलायन कर चुके हैं। वहीं अन्य प्रभावितों को रैन बसेरों में शिफ्ट किया जा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जोशीमठ में भूधंसाव का दायरा बढ़ता जा रहा है, जिससे पूरे शहर में दहशत का माहौल है। सड़कों, मकानों, होटलों और सरकारी इमारतों में 2 इंच से लेकर 1 फिट तक की दरारें देखी जा सकती है। दरार से पानी का भी रिसाव हो रहा है। भूस्खलन से क्षतिग्रस्त होटलों में पर्यटकों के ठहरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 

जमीन धंसने से सैंकड़ों परिवार प्रभावित हो रहे हैं। वे अपने घरों में ताला लगाकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं। कई लोग तो खुले में ही रहने को मजबूर हैं। नगर पालिका क्षेत्र के 9 वार्डों के 550 से ज्यादा घर समस्या में है। इनमें से ज्यादातर घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जबकि कई घरों में मोटी दरारे पड़ गई हैं। स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक करीब तीन से चार हजार लोग प्रभावित हैं।

जोशीमठ के स्थानीय लोग इसके पीछे एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार मान रहे हैं। इस योजना के तहत पहाड़ों को काटकर लंबी सुरंग बनाई जा रही है। 2 साल पहले शुरू हुई जल विद्युत परियोजना के बाद से ही यहां जमीन पर दरारें पड़ने का सिलसिला शुरू हुआ, जो अब तेजी से फैल रहा है। ​​​​

जोशीमठ में लोग परेशान हैं, गुस्से में हैं और लगातार सरकार से मुआवजा देने और जल विद्युत परियोजना को बंद करने की गुहार लगा रहे हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले मुख्य बाजार में इकट्ठा हुए लोगों ने बुधवार को मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया था। 

इससे नवंबर 2021 में भी स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी। जोशीमठ के व्यापारी विनय रावत बताते हैं कि जोशीमठ का अस्तित्व बचाना जरूरी है। सरकारी परियोजनाओं के चलते पूरे शहर में टनल बनाने के लिए ब्लास्ट किए जा रहे हैं, जो खतरे की घंटी है। सरकार को जोशीमठ को बचाने के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए। हालांकि, राज्य की भाजपा सरकार इस खतरे को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है।