Covid 19 Impact: ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 20 फीसदी बच्चों के पास नहीं हैं घर में किताबें

स्कूल बंद होने और दूसरे संसाधन न होने की वजह से प्रभावित हो रही है बच्चों की पढ़ाई, स्कूलों के खुलने के बाद भी कोरोना के डर से करोड़ों बच्चों ने नहीं लिया दाखिला

Updated: Oct 29, 2020, 06:18 PM IST

Photo Courtesy: The Hindu
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नई दिल्ली। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 20 फीसदी बच्चों के पास घर में किताबें नहीं हैं। एनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट सर्वे में यह बात सामने आई है। यह सर्वे सितंबर में किया गया है, जब कोविड 19 महामारी के कारण स्कूल बंद रहने के दौरान किया गया है। पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक 98 फीसदी बच्चों के पास घर में किताबें हैं, वहीं राजस्थान में 60 प्रतिशत बच्चों के पास। आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 35 फीसदी बच्चों के पास किताबें नहीं हैं। सर्वे में सामने आया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर तीन में से एक बच्चे को पढ़ाई से दूर रहना पड़ा। वहीं दो बच्चों को उनके स्कूल से कोई सहायता नहीं मिली। 

कोरोना वायरस महामारी के दौर में इस सर्वे में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 10 में से केवल एक बच्चे के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने की सुविधा है। करीब एक तिहाई बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई की कोई सामग्री ही नहीं मिली। हालांकि, केंद्र सरकार ने अब राज्यों को स्कूल खोलने की इजाजत दे दी है, लेकिन अब भी देश के करीब 25 करोड़ छात्र स्कूलों से दूर हैं। 

सर्वे में पाया गया है कि 6 से 10 साल के 5.3 फीसदी बच्चों ने अभी तक कहीं दाखिला नहीं लिया है। साल 2018 में ऐसे बच्चों का अनुपात 1.8 प्रतिशत था। इसका प्रमुख कारण कोरोना महामारी को बताया जा रहा है। निजी स्कूलों में दाखिले बहुत तेजी से घटे हैं। इसकी एक प्रमुख वजह परिवारों की आय में आई कमी को माना जा रहा है। दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में दाखिले में उछाल आया है। 

इसी सर्वे ने 2018 में पाया था कि गांव में रहने वाले 36 फीसदी परिवारों के पास स्मार्टफोन है। दो साल में यह हिस्सा बढ़कर 62 फीसदी हो गया है। लॉकडाउन के बाद करीब 11 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने फोन खरीदे, इनमें से 80 फीसदी स्मार्टफोन हैं। इसकी वजह से व्हाट्सएप के जरिए ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल ट्रांसफर करने में आसानी हो रही है। इस बार यह सर्वे फोन कॉल्स के जरिए किया गया है। इसमें 30 राज्यों के करीब 52 हजार ग्रामीण परिवारों ने हिस्सा लिया है। सर्वे प्रथम नाम के एनजीओ ने किया है।