प्रशांत भूषण भरेंगे 1 रुपये का जुर्माना, फ़ैसले के खिलाफ जारी रखेंगे लड़ाई

Prashant Bhushan: कोर्ट ने जिसे अवमानना माना, वो हर नागरिक का कर्तव्य, इस मामले ने हजारों नागरिकों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया

Updated: Sep 03, 2020, 06:59 AM IST

Photo Courtesy: Swaraj Express
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सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दोषी पाए गए वरिष्ठ अधिवक्ता एक रुपये का जुर्माना भरेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे कोर्ट के फैसले के खिलाफ मौजूद कानूनी विकल्पों का भी प्रयोग करेंगे। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूषण ने कहा कि इस मामले ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हजारों नागरिकों को प्रेरित किया है। प्रशांत भूषण ने उनका समर्थन करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया। 

भूषण ने कहा कि कोर्ट ने जिसे अवमानना माना है, वो उनकी नजर में हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और सुप्रीम कोर्ट वो आखिरी जगह है जहां गरीब और कमजोर लोग न्याय के लिए आते हैं। उन्होंने एक बार फिर से दोहराया कि उनके ट्वीट सुप्रीम कोर्ट या न्यायपालिका को चोट पहुंचाने के लिए नहीं किए गए थे, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के भटकाव को रेखांकित करने के लिए किए गए थे। भूषण ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि देश में लोकतंत्र और मजबूत होगा। 

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना की सजा के तौर पर 15 सितंबर तक एक रुपये का जुर्माना भरने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर प्रशांत भूषण ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें तीन महीने की साधारण जेल होगी। साथ ही अगले तीन साल तक कोर्ट में उनके प्रैक्टिस करने पर रोक लगा दी जाएगी। 

सजा के साथ सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भूषण को सजा देकर एक तरफ वकीलों और न्यायाधीशों को यह संदेश दिया है कि कोर्ट की गरिमा को चोट नहीं पहुंचाई जा सकती। वहीं दूसरी तरफ यह दिखाया है कि न्यायपालिका का दिल बहुत बड़ा है, कंधे विशाल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रशांत भूषण ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की वह सलाह नहीं मानी, जिसमें उन्होंने प्रशांत भूषण से अपने ट्वीट को लेकर खेद जताने को कहा था। 

यह पूरा मामला प्रशांत भूषण के जुलाई में किए गए दो ट्वीट से जुड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इन ट्वीट का स्वत: संज्ञान लेते हुए भूषण के खिलाफ अवमाना की कार्यवाही शुरू की थी और 14 अगस्त को उन्हें दोषी पाया था। कोर्ट ने भूषण से माफी मांगने के लिए कहा था। जिसका जवाब देते हुए भूषण ने माफी मांगने से मना कर दिया और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि उन्हें हर सजा मंजूर है, वे कोर्ट से किसी दया और उदारता की उम्मीद नहीं रखते। उन्होंने यह भी कहा कि ट्वीट उनके मूलभूत विश्वास को अभिव्यक्त करते हैं।

प्रशांत भूषण को दी जाने वाली सजा पर सुप्रीम कोर्ट में 25 अगस्त को सुनवाई हुई। प्रशांत भूषण ने एक बार फिर से माफी मांगने से मना कर दिया और कहा कि अगर वे माफी मांगते हैं तो यह उनके विवेक और उस सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी, जिसकी सेवा उन्होंने 30 साल तक एक सिपाही के रूप में की है। प्रशांत भूषण ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करते हैं और इस आधार पर मानते हैं। 

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दूसरी तरफ केंद्र सरकार की पैरवी करने वाले अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल भी प्रशांत भूषण को सजा ना दिए जाने के पक्ष में थे। हालांकि, उन्होंने भूषण से खेद जताने को कहा था। इस बीच भूषण ने सजा को स्थगित करने की याचिका भी डाली थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था।