लेखक पीयूष बबेले को मिला पंडित नेहरू राष्ट्रीय शिखर सम्मान, नेहरू मिथक और सत्य की रचना के लिए हुए सम्मानित

सम्मान समारोह के दौरान पीयूष बबेले ने कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक और राष्ट्रनिर्माण की विचारधारा की ज़रूरत है।

Updated: Sep 06, 2023, 05:57 PM IST

जयपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी ने अपना पहला राष्ट्र स्तरीय शिखर सम्मान 'पं. जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिखर सम्मान' प्रख्यात लेखक व पत्रकार पीयूष बबेले को दिया है। बुधवार को बाल साहित्य अकादमी और जवाहर कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को अकादमी के पुरस्कार वितरण व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान ख्यात लेखक पीयूष बबेले को अकादमी द्वारा अपने प्रथम राष्ट्रीय पुरस्कार पं. नेहरू शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक लेखक पीयूष बबेले को सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया। बबेले को यह सम्मान उनकी पुस्तक नेहरू मिथक और सत्य के लिए प्रदान किया गया। इस दौरान बबेले ने कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए पंडित नेहरू की लोकतांत्रिक और राष्ट्रनिर्माण की विचारधारा की ज़रूरत है। 

अकादमी के अध्यक्ष इकराम राजस्थानी ने बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के मूल्यों और विचारों को ध्यान में रखकर युवाओं को प्रेरित शिक्षित और राष्ट्र के प्रति समर्पित करने के लिए लिखे गए साहित्य के आधार पर पीयूष बबेले को सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि अकादमी ने राष्ट्रीय स्तर के इस पुरस्कार को प्रदान करने के लिए शीर्ष विद्वानों और नेहरू साहित्य के विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया था जिसमें गांधी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ बी.एम.शर्मा, पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी, काशी विद्यापीठ बनारस में सेवारत रहे प्रोफेसर सतीश राय और वरिष्ठ साहित्यकार फारूक अफरीदी सदस्य थे। इस कमेटी के सर्व सम्मत अनुशंसा पर यह इस पुरस्कार हेतु पीयूष बबेले का चयन किया है।

लेखक पीयूष बबेले देश के कई मीडिया संस्‍थानों में अहम पदों पर रह चुके हैं। वह पिछले डेढ़ दशक से राजनीतिक विश्लेषण और ग्रामीण भारत की अनकही कहानियों को राष्ट्रीय पटल पर व्यक्त करते रहे हैं। गूढ़ विषयों को सरल भाषा में व्यक्त करना उनका खास अंदाज है। राजनीति व इतिहास पर उनकी गहरी पकड़ है। स्‍वतंत्र लेखक के रूप में भी वह कई संस्‍थानों के लिए लेख आदि लिखते रहे हैं। उनकी किताब ‘नेहरू मिथक और सत्‍य’ आज के समय की कालजयी रचना मानी जाती है। यह पुस्तक मौजूदा समय में पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ फैलाए जा रहे तमाम झूठ का पर्दाफाश करती है। साथ ही युवा पीढ़ी के मन में नेहरू को लेकर उठने वाले तमाम समसामयिक सवालों के जवाब भी देती है।

बबेले के साथ ही अकादमी की ओर से बाल साहित्य लेखन में विशेष योगदान देने के लिए 16 अन्य पुरस्कारों का वितरण व 9 सम्मान प्रदान किए गए। अकादमी की ओर से प्रकाशित बाल साहित्यकारों की 57 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष डॉ. राजीव अरोड़ा मुख्य अतिथि रहे। वहीं कला संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव डॉ. गायत्री राठौड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। 

अकादमी के चेयरमैन इकराम राजस्थानी ने कहा कि अकादमी बचपन संवारने के कार्य कर रही है। बाल मेला, बाल फिल्म निर्माण, बाल साहित्य लेखन समेत बच्चों से जुड़े विभिन्न आयोजन अकादमी की ओर से करवाए जाएंगे। कार्यक्रम के दौरान रंगायन के बाहर भोपाल की इकतारा संस्था की सहभागिता में पुस्तक व पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। नौनिहाल के तहत अक्षत सोनी, हिमाक्षी सोनी ने बांसुरी वादन की प्रस्तुति दी। दिव्य दृष्टि बालकों ने भी गायन किया। वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी, प्रो. सतीश राय, अकादमी उपाध्यक्ष बुलाकी दास समेत अकादमी के पदाधिकारी, साहित्यकार व कला प्रेमी इस दौरान मौजूद रहे।