दफ्तर दरबारी: मोहन के दरबार से निराश भक्तों ने लगायी राम से गुहार
मध्यप्रदेश में शिव का राज गया और अब मोहन मुख्यमंत्री हैं लेकिन कर्मचारियों की सुनवाई न शिव सरकार में हुई और न मोहन राज में हो रही है। अयोध्या में जब श्री राम प्रतिमा की स्थापना का उत्सव हो रहा है तब कर्मचारियों ने श्री राम से ही गुहार लगाई है कि आप को भव्य मंदिर मिल रहा है, हमारा वनवास कब खत्म होगा?
प्रभु आपको टेंट से भव्य मंदिर मिला, हमारा भी वनवास खत्म हो
मुखिया कोई हो, सत्ता सूत्र किसी भी दल के हाथ में हों, प्रशासनिक की रीढ़ तो कर्मचारी होते हैं। मध्य प्रदेश के कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण सहित विभिन्न लाभों को लेकर लंबे समय से परेशान है। कर्मचारी संगठनों ने विधानसभा चुनाव के पहले से सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई बार कर्मचारियों संगठनों से मुलाकात की, उनकी नाराजगी का कारण जाना मगर समस्या हल नहीं हुई। सरकार तो नहीं बदली लेकिन मुखिया बदल गए हैं। अब मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं और वीरा राणा मुख्यसचिव हैं। पेंशनर्स और कर्मचारी छह माह से बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता नहीं मिलने से नाराज हैं। वे बार बार सुनवाई की गुहार लगा रहे हैं।
दूसरी तरफ, आबकारी विभाग के कर्मचारी हैं जो पदोन्नति न होने से निराश हैं। उनकी न शिवराज ने सुनी और न ही मोहन यादव सरकार में सुनवाई की पहल हुई है। अब पीडि़त आबकारी कर्मचारियों ने राम को ही अपना दुखड़ा सुनाया है। भगवान श्री राम को भेजे ज्ञापन ‘एक पाती राम के नाम’ में कर्मचारियों ने लिखा है कि, हे पुरुषोत्तम श्रीराम, आज हम सभी आपके द्वारे एक आशा लेकर आए हैं। प्रभु वर्तमान युग में हर्ष का विषय, दैहिक प्रसन्नता और आनंद से परिपूर्ण उत्सवीय माहौल में जबकि आप (टेंट से दिव्य राम मंदिर में प्रतिष्ठित हो रहे हैं। आपके मानवीय चरित्र में आपका वनवास 14 वर्षों का का रहा, किन्तु हम अभागे इस दैहिक अवस्था में विगत 18 वर्ष से एक ही पद पर कार्यरत है। हमारे कई साथी 20 तो कोई 25, 28 वर्षों से एक ही पद पर कार्यरत है और कई सेवानिवृत होकर कई आपके चरणों में विलीन हो गए। प्रभु श्री राम, हम सभी आबकारी विभाग के कर्मचारी, आरक्षक, मुख्य आरक्षक, आबकारी, उप निरीक्षक, एवं अन्य साथी आपसे करबद्ध प्रार्थना करते हैं कि इस अवस्था के शासकीय कर्तव्यों में शीष पदोन्नति मिलें ऐसा आर्शीवाद प्रदान करें!
राम दरबार में अर्जी पहुंच चुकी है। कहते हैं, भगवान के घर देर हैं, अंधेर नहीं तो इन कर्मचारियों को भी अपने जीवन के अंधेरे के छंट जाने की प्रतीक्षा है।
कलपते रहे गए कुलस्ते, आईएएस अनय पर एक्शन नहीं
बीजेपी के आदिवासी नेता नाराज हैं। आने खिलाफ की गई आईएएस की टिप्पणी ने कुलस्ते कलप रहे हैं मगर अपनी ही सरकार ने उनकी नाराजगी पर ध्यान नहीं दिया है। हुआ यूं कि केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के बहनोई अशोक धुर्वे पूर्व विद्युत वितरण क्षेत्र कंपनी में चीफ जनरल मैनेजर हैं। वे कंपनी में कमर्शियल, स्टोर और परचेजिंग का काम देखते हैं। सोमवार को हुई साप्ताहिक विभागीय मीटिंग में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर आईएएस अनय द्विवेदी की टिप्पणी से केंद्रीय राज्य मंत्री कुलस्ते नाराज हो गए। आरोप है कि अशोक धुर्वे को काम को लेकर फटकार लगाते हुए आईएएस अनय द्विवेदी ने कहा कि 'ऊपर से कहा गया है कि कुलस्ते हार चुके हैं तो तुम्हें भी फील्ड भेज दें। मैंने मना कर दिया कि मैं उसे फील्ड में नहीं भेजूंगा।'
विवाद सामने आया तो अशोक धुर्वे ने सफाई देते हुए कहा कि है। आईएएस अनय द्विवेदी ने काम ठीक नहीं होने पर फटकारा था। जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। बहनोई ने भले ही आरोपो का खंडन कर दिया लेकिन कुलस्ते को आईएएस की टिप्पणी चुभ गई है।
वायरल हुए एक वीडियो से केंद्रीय मंत्री कुलस्ते की नाराजगी की जानकारी मिली है। इस वीडियो में वे कहते दिख रहे हैं कि कोई भी अधिकारी अगर सार्वजनिक तौर पर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करता है तो उस पर कार्रवाई होगी। मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से बात करूंगा। अपमानजनक व्यवहार करने वालों को उच्च पद पर नहीं रहना चाहिए। ऐसे लोगों को दफ्तर का काम दिया जाना चाहिए। चुनाव अपनी जगह है। हार-जीत अपनी जगह है। इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए।
सार्वजनिक बयान दे कर केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने उम्मीद की थी कि उनकी बात पर मुखिया तुरंत ध्यान देंगे और जिस तरह से वे शिकायत मिलने पर अफसरों को तुरंत बदल रहे हैं, वैसे ही अनय द्विवेदी को भी हटा देंगे लेकिन आईएएस अनय द्विवेदी का अबतक तबादला नहीं हुआ है। फिलहाल तो केंद्रीय मंत्री की तुलना में अफसर भारी नजर आ रहे हैं। कुलस्ते के कलपने की एक वजह यह भी है।
पहले पद बचा लें फिर संभाल लेंगे संभाग
सरकार चलाने में नवाचार करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंत्रियों की नियुक्ति के पहले वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अफसरों को संभाग का प्रभार दिया था। अब मंत्रियों की नियुक्तियां भी हो चुकी हैं और वे कार्यभार ग्रहण कर चुके हैं लेकिन अफसरों ने अब तक संभागों के दौरे शुरू नहीं किए हैं। अफसरों के संभागीय दौरे और समीक्षा न होने के पीछे भी दिलचस्प कारण है।
असल में, प्रभारी सीएस बनाई गई आईएएस वीरा राणा अब 48 दिनों बाद सीएस नियुक्त हुई है। सीएम मोहन यादव ने अपनी जरूरतों और शिकायतों के आधार पर कुछ आईएएस-आईपीएस को बदला जरूर है लेकिन बड़ी प्रशासनिक सर्जरी बाकी है। मुख्यमंत्री बदल गए हैं। मंत्री भी बदल गए हैं लेकिन अफसर वही हैं जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नियुक्त किया था। अब मंत्रियों की पसंद और उनके तालमेल के अनुसार अफसरों के कामकाज में बंटवारे का इंतजार है।
प्रशासनिक सर्जरी के कयासों के बीच अफसर फिलहाल अपनी मनचाही पोस्टिंग पाने या अपना पद बचाने की जुगत में लगे है। वे मुख्यमंत्री मोहन यादव के दिए लक्ष्यों को पूरा कर अपने नंबर बढ़वाने की कोशिशें कर रहे है। इन कोशिशों के फेर में संभागीय यात्राओं को कम तवज्जो दे रहे हैं। पहले पद तो बचा लें फिर संभाग के जिलों में जा कर कलेक्टरों और एसपी के साथ मिलकर जिलों के कामकाज की निगरानी करेंगे।
पटवारियों के पक्ष में पटवारी की आवाज से जागी आस
मध्य प्रदेश पटवारी भर्ती परीक्षा का रिजल्ट घोषित हुए 8 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है मगर इस परीक्षा में बैठे 13 लाख परीक्षार्थियों को अब भी रिजल्ट जारी होने का इंतजार है। असल में, इस परीक्षा का परिणाम 30 जून 23 को जारी हुआ था लेकिन गड़बड़ी की शिकायत के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रिजल्ट ही निरस्त कर दिया था। इस परीक्षा में हुए घोटाले से परेशान परीक्षार्थियों ने भोपाल समेत पूरे प्रदेश में धरने पर बैठ गए थे। मुख्यमंत्री चौहान ने जांच के आदेश देकर जुलाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे लेकिन आठवां महीना खत्म हो रहा है, सरकार ने इन परीक्षार्थियों को कोई राहत नहीं दी है।
चुनाव के समय भी भविष्य के इन पटवारियों की मांगों को समर्थन दे चुके कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एक बार फिर बेरोजगार युवाओं का कष्ट समझकर सरकार से सवाल पूछे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने मोहन सरकार से पूछा है कि पटवारी परीक्षा घोटाले की जांच की रिपोर्ट कब तक आएगी? रिजल्ट में टॉप 10 स्टूडेंट की जो सूची जारी हुई थी उसमें 7 अभ्यर्थी ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज के थे। क्यों? हजारों युवा धरना, प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। वे बार-बार पूछ रहे हैं कि बीजेपी के शासन में व्यापमं से शुरू हुए भर्ती घोटाले आखिर कब रुकेंगे? दिव्यांग कोटे से चयनित ज्यादातर मुरैना जिले के जौरा से और सबके उपनाम में त्यागी ही क्यों है? कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, वन रक्षक भर्ती परीक्षा में फिट हैं, जबकि पटवारी भर्ती परीक्षा में विकलांग हैं। ऐसा क्यों हुआ?
कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पूछा है कि मुख्यमंत्री जी मध्य प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवा अब यह भी जानना चाहते हैं कि जांच का अंतिम परिणाम कब आएगा? पटवारी का साथ मिलने से भविष्य के पटवारी खुश हैं कि सरकार अब सुध लेगी और उनकी सुनवाई करेगी।