दफ्तर दरबारी: कहीं प्रवासी सम्मेलन का सियासी रंग फीका न रह जाए इसलिए डोर नेताजी के हाथ में
Pravasi Bharatiya Divas 2023: एक तरफ कोरोना की आहट और दूसरी तरफ प्रवासी भारतीय सम्मेलन व इंवेस्टर्स समिट की सफलता का दबाव। अब लग रहा है कि कहीं प्रवासी भारतीय सम्मेलन का सियासी रंग फीका न हो जाए। इस लिए अफसरों के समानांतर सियासतदां को मैदान में उतार दिया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ब्यूरोक्रेसी पर खूब भरोसा है। वे इसे टीम मध्य प्रदेश कहते रहे हैं। मगर एक तरफ कोरोना की आहट और दूसरी तरफ प्रवासी भारतीय सम्मेलन व इंवेस्टर्स समिट की सफलता का दबाव। अब लग रहा है कि कहीं प्रवासी भारतीय सम्मेलन का सियासी रंग फीका न हो जाए। इस लिए अब अफसरों के समानांतर सियासी रसूखदारों को भी मैदान में उतार दिया गया है, इस उम्मीद के साथ की संभालो मोर्चा, रंग भी चोखा चाहिए और उसका फायदा भी।
दुनिया भर में कोरोना की वापसी की खबरों ने तनाव बढ़ा दिया है मगर सरकार की मुसीबत केवल कोरोना से बचाव के उपाय भर करना ही नहीं है। सरकार की मुश्किल तो 8 से 10 जनवरी तक इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन और उसके तत्काल बाद 11 व 12 जनवरी को इंवेस्टर्स समिट का आयोजन है। चीन, अमेरिका सहित अन्य देशों में कोरोना की फैलने की खबरों से भय उत्पन्न हो रहा है। पिछली बार की गलती को देखते हुए मांग की गई थी कि विदेश से आने वाले प्रत्येक यात्री की कोरोना जांच होनी चाहिए। अब तक केवल रेंडम जांच ही की जा रही थी। विदेश से आए यात्रियों को एयरपोर्ट पर क्वारंटाइन करने की भी मांग की गई है।
कोरोना से निपटने की तैयारियों के बीच चिंता इस बात की भी है कि मध्य प्रदेश में पहली बार हो रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन की उपस्थिति प्रभावित न हो। चुनाव की दृष्टि से प्रवासी सम्मेलन का अपना सियासी महत्व भी है। इस सम्मेलन और इंवेस्टर्स समिट के लिए मेहमानों को बुलाने की जिम्मेदारी अब तक अफसर संभाल रहे थे। सम्मेलन का सियासी रंग फीका न हो यह सुनिश्चित करने के लिए सियासतदां को भी मैदान में उतार दिया गया है।
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव प्रवासी भारतीयों से ऑन लाइन चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने ताबड़तोड़ इंदौरी एनआरआई फोरम का एक कार्यक्रम भी करवा लिया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान भी ऑनलाइन इस कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रवासी भारतीयों को बुलाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान का लहजा काव्यात्मक हो गया था। वे बोले मेहमान जो हमारा होता है जान से प्यारा होता है. इंदौर आना, सराफा जाना, छप्पन का खाना खाना, ज्जैन महाकाल लोक भी घूम आना, मांडू भी जाना, प्रदेश के अभयारण्यों में टाइगर से हैंडशेक भी करना। आखिर में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इमोशनल अपील करते हुए कहा, घर आ जा परदेसी तेरा इंदौर बुलाए।
केवल अतिथियों को बुलाने के लिए ही नहीं आयोजन व्यवस्था में भी नेताओं को शामिल किेया गया है। महापौर भार्गव ने व्यवस्था के लिए सात सदस्यीय टीम बनाई है। एक टीम में एमआईसी सदस्य के साथ 5 पार्षद तथा एक अफसर रहेगा। प्रवासी भारतीय सम्मेलन को सफल बनाने के लिए बीजेपी विदेश में रह रहे भारतीयों से संपर्क कर आयोजन की सफलता और अपनी राजनीतिक जमीन पुख्ता कर रही है।
अफसरों के आगे अब तो कार्यकर्ता को सम्मान दो सरकार
एक तरफ जहां प्रवासी भारतीय सम्मेलन की सफलता के लिए नेताओं की मदद ली जा रही है वहीं दूसरी तरफ मैदान में अफसरों के बदले कार्यकर्ताओं की बात सुने जाने की सलाहें फिर सुनाई देने लगी हैं।
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले जब भोपाल आए तो उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रम में ब्यूरोक्रेसी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि स्वरोजगार का वातावरण निर्माण करने के लिए ब्यूरोक्रेसी का भी वैसा होना जरूरी है। जिन्होंने देश के करोड़ों रुपए डुबो दिए, उनका हमने क्या किया? उन्हें जेल भेज पाए क्या? हम सब जानते हैं। बात संकेत में कही गई थी मगर मतलब साथ था।
फिर जब युवाओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अफसर सब अच्छा-अच्छा बताते हैं लेकिन हकीकत में वैसा होता नहीं है तो उमा भारती आक्रामक हो गईं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इसे कन्फ़ेशन यानी स्वीकारोक्ति करार देते हुए मुख्यमंत्री का अभिनंदन किया। उन्होंने लिखा कि हाल ही के मध्यप्रदेश के भ्रमण के दौरान उन्होंने भी ऐसे ही कुछ सत्य देखे हैं। तीन उदाहरण देते हुए उमा भारती ने कहा कि हमें कार्यकर्ता, विधायक, सांसद एवं संगठन का भी भरोसा करना होगा।
पहले संघ और फिर बीजेपी से मिली इस सलाह के सियासी मायने हैं। जब मैदान में असर दिखाने की बारी आती है तो संगठन याद आता है मगर सत्ता में कार्यकर्ताओं और नेताओं की सुनवाई नहीं होती है। यह आरोप न पहली बार लगा है और न ऐसी सलाह पहली बार दी गई हैं। हर बार कमरा बैठकों में ऐसी शिकायतें की जाती रही हैं। अब जब चुनाव सिर पर हैं तो एक बार इन सलाहों का दौर आ गया है।
युवा नीति के लिए फिर भी अफसरों का ही भरोसा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 12 जनवरी 2023 युवा दिवस के अपसर पर एमपी की नई युवा नीति घोषित करेंगे। इस नीति के लिए सुझाव आमंत्रित किए जा रहे हैं। प्रदेश की युवा नीति बनाने में प्रमुख भूमिका बीजेपी के युवा नेताओं की नहीं बल्कि युवा आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की है। माना जा रहा है कि ये अफसर युवाओं की बात सही समझते हैं इसलिए इनकी सलाह से बनी युवा नीति अधिक उपयुक्त होगी।
मध्य प्रदेश की युवा नीति-2023 को बनाने के लिए सरकार ने मंत्री समूह का गठन किया है। इसमें यशोधरा राजे सिंधिया, विश्वास सारंग, डॉ मोहन यादव और इंदर सिंह परमार को शामिल किया गया है। पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह चौहान ने युवाओं के नाम एक वीडियो संदेश जारी कर उनके सुझाव आमंत्रित किए हैं। इस सारी कवायद में बीजेपी युवा मोर्चा या छात्र संगठन एबीवीपी नेताओं की मुख्य भूमिका दिखाई नहीं दे रही है।
हालांकि, बीजेपी ने युवाओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए युवा नीति पर सुझाव लेने का सिलसिला शुरू जरूर किया है मगर युवा नेताओं की शिकायत वही है जो होसबोले और उमा भारती ने की है, अफसर के आगे सरकार हमारी सुनती नहीं है।
चुनाव के पहले मेट्रो चले या नहीं, चेहरा जरूर चमकना चाहिए
मिशन 2023 के लिए हर तरह की तैयारी कर रही शिवराज सरकार ने अपने अफसरों को भी टारगेट दे दिए हैं। खासतौर से ऐसे विभागों को जिनका काम विकास से जुड़ा हुआ है उन्हें समय पर काम करने की हिदायत दी गई है ताकि चुनाव अभियान के दौरान उपलब्धियां गिनाई जा सके।
उपलब्धियों की सूची में एक सबसे बड़ा काम भोपाल-इंदौर में मेट्रो चालू होना है। जिस रफ्तार से मेट्रो प्रोजेक्ट चल रहा है लगता नहीं है कि अगले पांच साल में भी मेट्रो के सभी रूट पूरे हो सकेंगे। लेकिन टारगेट तो है कि किसी भी सूरत में चुनाव के पहले मेट्रो चालू दिखना चाहिए। सरकार का आदेश पूरा करने के लिए अफसरों ने बीच का रास्ता निकाला है। तैयारी की जा रही है कि चुनाव के पहले मेट्रो शुरू हो या नहीं कम से कम ट्रायल रन करवा दिया जाए।
मुख्यमंत्री इस ट्रायल रन की समीक्षा करेंगे और फिर इसे उपलब्धि बता कर प्रचार में भुनाया जाएगा। मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रबंध संचालक मनीष सिंह ने इंदौर में समीक्षा बैठक में यह कहते हुए अपने इरादे साफ भी कर दिए कि अगस्त सितम्बर तक छोटे रूट पर मेट्रो का ट्रॉयल रन होना ही चाहिए। पूरी कोशिश है कि कुछ भी हो सरकार जब जनता के बीच जाए तो उपलब्धियों की चमक साथ होनी चाहिए।