World Music Day : 32 देशों से शुरू हुआ अब 110 देशों में सेलिब्रेशन

वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाने का उद्देश्य नए कलाकारों को एक मंच पर लाना और उनकी प्रतिभा को सराहना भी है

Publish: Jun 22, 2020, 03:17 AM IST

21 जून को दुनिया भर में विश्‍व संगीत दिवस मनाया गया। वर्ल्ड म्यूजिक डे की शुरुआत फ्रांस में 1982 को हुई थी। म्यूजिक डे को फेटे डी ला म्यूजिक (Fête de la Musique) के नाम से भी जाना जाता है। फ्रांस में संगीत को लेकर लोगों में इस कदर दीवानगी छाई की वहां के सांस्कृतिक मंत्री ने संगीत दिवस मनाने का एलान कर दिया था। पहले म्यूजिक डे के मौके पर फ्रांस के साथ 32 से ज्यादा देश शामिल हुए थे। अब विश्व के 110 देशों में वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाया जाने लगा है।

 कलाकार अपनी परफार्मेंस के लिए नहीं लेते फीस

वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाने का उद्देश्य नए कलाकारों को एक मंच पर लाना और उनकी प्रतिभा को सराहना भी है। इस दिन अलग-अलग देशों के संगीतकार अपनी-अपनी प्रस्तुतियां देते हैं, देश के संगीत को समृद्ध करते हैं। वहीं इसे मनाने का एक उद्देश्य यह भी है कि लोगों को संगीत के प्रति जागरूक किया जाए। ताकि लोगों का विश्वास संगीत से न उठे। फ्रांस में इस दिन सारे कार्यक्रम सभी के लिए खुले होते हैं। बड़े-से-बड़ा कलाकार भी इस दिन बिना फीस लिए अपनी परफार्मेंस देते हैं। ये संगीत को सर्व-सुलभ बनाने का दिन होता। इस मौके पर अलग-अलग देशों के फेमस म्यूजीशियन्स लोगों के लिए पार्क, म्यूजियम, रेलवे स्टेशन और आम सार्वजनिक जगहों पर संगीत के कार्यक्रम पेश करते हैं। ऐसा करके जनता और म्यूजिक के बीच पुल का काम करते हैं, इनदिनों ऐसे कान्सर्ट्स का आयोजन अर्जेंटिना, ब्रिटेन, लक्जमबर्ग, जर्मनी, चीन, लेबनॉन, कोस्टा रिका के अलावा भारत में भी होने लगा है। संगीतकार इन जलसों के माध्यम से पूरी दुनिया में अमन और शांति का प्रचार करते हैं।

संगीत से अच्छी दवा कोई नहीं 

भोपाल की जानी मानी इंडियन क्लासिकल वोकलिस्ट सुलेखा भट देश विदेश में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। उनका कहना है कि संगीत में ईश्वरीय शक्ति होती है। सात सुरों से निकली तरंगें हमारे मन, शरीर और आत्मा पर प्रभाव डालती हैं। शास्त्रीय संगीत ,सुगम, लोक संगीत, फिल्म संगीत सभी का अपना महत्व है। ऐसा संगीत सुनें जो हमें उत्साहित कर सके, संगीत से अच्छी दवा कोई नहीं है। संगीत जीवन में आशा की किरण जगाता है, खुशी देता है। वहीं रागों के बारे में उन्होंने बताया कि चाहे कोई भी राग हो, हर राग सूदिंग होता है। समय समय पर हर राग का अपना महत्व होता है, हर राग सकारात्मक ऊर्जा देता है।

बेहतरीन स्ट्रेस बस्टर है संगीत

संजय गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल रीवा की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अवनी पाण्डेय, जिन्होंने क्लासिकल वोकल में सीनियर डिप्लोमा किया है, उनका मानना है कि म्यूजिक स्ट्रेस बस्टर का काम करता है। कोरोना के कारण कई बार डॉक्टर और पेशेंट दोनों तनाव की स्थिति में पहुंच जाते हैं। ऐसे में संगीत काफी सहायक होता है। डॉक्टर अवनी का कहना है कि प्रसव के लिए आई महिलाओं को इनदिनों डिलेवरी के साथ साथ कोरोना का डर भी रहता है, ऐसे में उनका ध्यान हटाने के लिए कई बार वो उनसे उनकी पसंद का गाना पूछती हैं, और धीमी आवाज में प्ले करवातीं हैं, ताकि मरीज का ध्यान गाने की तरफ हो औऱ उनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहे। वहीं उनका मानना है कि यदि दिन की शुरुआत अच्छा गीत सुनकर हो तो पूरा दिन ऊर्जावान रहते हैं।   

 

आत्मा की आवाज है संगीत

संगीत से अच्छा को ई दोस्त नहीं है, ये कहना है आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी राजेश भट का। उनका कहना है कि जब से मानव शरीर अस्तित्व में आया है तब से ही संसार में उसके साथ संगीत रहा है, संगीत मानव के साथ-साथ ही पल्लवित होता है, अच्छे काव्य और संगीत के साथ गीत अपने परिष्कृत रुप में सामने आता है, तो वह हमारे आत्मा की आवाज बन जाता है। कोरोना काल में नकारात्मकता आई है, ऐसे में संगीत ड्रिप्रशेन से उबार सकता है। मन उदास हो तो मस्ती भरा गीत सुनें, मूड बदलते देर नहीं लगेगी। संगीत के साथ हमारी मन की स्थिती बदल जाती है। संगीत हमारे शरीर पर भी असर करता है। अगर इस संसार में कुछ परिवर्तित किया जा सकता है, तो वह सिर्फ संगीत के ज़रिये ही किया जा सकता है।