जी भाईसाहब जी: चुनावी वैतरणी में शाही बुद्धि का सहारा

MP Politics: सीधी वायरल वीडियो के बाद ऐसे अनेक मामलों के सामने आने से बीजेपी सरकार की नींद उड़ गई है। दूसरी तरफ, बीजेपी में मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ मैदान में नाराजगी है। कार्यकर्ता कुछ समझने को तैयार नहीं है और गुटबाजी से संगठन परेशान हैं। हार को देहरी पर देख अब गृहमंत्री अमित शाह ने सारे सूत्र अपने हाथ में ले लिए हैं।

Updated: Jul 11, 2023, 03:08 PM IST

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में अब चार महीने का ही समय ही बचा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में खास तरह की हलचल है। कांग्रेस में चर्चा है कि हम सत्‍ता में आ रहे हैं, आ रहे हैं, जबकि बीजेपी में बुरी खबरों का हल्‍ला ज्‍यादा है। सत्‍ता और संगठन इन बुरी खबरों से निपटने में जुटा है। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार दौरे जारी हैं जबकि संगठन की बागडोर राष्‍ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और मुरलीधर राव संभाले हुए थे। लेकिन जब सबकुछ सही नहीं हुआ तो कमान सीधे गृहमंत्री अमित शाह ने ले ली है।

गृहमंत्री अमित शाह का मंगलवार को अचानक भोपाल आने का कार्यक्रम बना और तय हुआ है कि वे शाम को चार घंटे सभी बड़े नेताओं के साथ बैठक कर मिशन 2023 की रणनीति तय करेंगे। साफ है कि मध्‍य प्रदेश में बीजेपी का चुनाव अभियान अब सीधे गृहमंत्री अमित शाह के नियंत्रण में और बुद्धि कौशल के अधीन आ गया है। इसकी शुरुआत शाह के खास माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को चुनाव प्रभारी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बना कर हो गई है। 

करीब एक साल पहले से मतदाताओं को साधने के जतन कर रही बीजेपी ने डबल इंजन सरकार के भरोसे चुनावी वैतरणी पार करने की सोची थी। जब महसूस हुआ कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा बीजेपी सरकार के खिलाफ नाराजगी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव का चेहरा बना दिया गया। मगर इससे पार्टी की अंदरूनी कलह नहीं थमी।

विज्ञापनों में भले ही चेहरे चमक रहे हैं मगर अंदर खींचतान है। बुंदेलखंड में मंत्रियों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। मालवा में जिला अध्‍यक्षों को लेकर नाराजगी कायम है। विधायक सरकार में तवज्‍जो नहीं मिलने तो कार्यकर्ता विधायकों और मंत्रियों के एटीट्यूड के कारण नाराज हैं। बीजेपी में गुटबाजी की स्थिति को दर्शाने के लिए शिवराज बीजेपी, महाराज बीजेपी और नाराज बीजेपी का मुहावरा उपयोग किया जा रहा है। 

ऐसी स्थिति में गृहमंत्री अमित शाह को खुद मैदान में आना पड़ा है। वे मंगलवार शाम 7:30 बजे बीजेपी कार्यालय में बैठक करेंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार बैठक करीब 4 घंटे चलेगी। तय है कि इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह अपने अंदाज में नेताओं को संकेत दे कर जाने वाले हैं। जाहिर है यह संकेत आपसी विवाद को भूला कर जीत की राह तय करने का होगा। संगठन में बदलाव सहित कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।

नजरें तो उनके कहने के आगे व्‍यवहार पर टिकी है कि उनका अंदाज किस नेता को प्रश्रय देता है और किसे कमजोर करता है। यूं भी अमित शाह के भोपाल आने के पहले कैलाश विजयवर्गीय की शाह से मुलाकात के अनेक मायने निकाले जा रहे हैं। सो, अब कमान गृहमंत्री अमित शाह के हाथ में है और इसीसे नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं क्‍योंकि शाह के आगे किसी की सुनवाई नहीं है। 

‘स्वार्थ’ के लिए सरकारी पैसे से परमार्थ

जिस मध्‍य प्रदेश को शांति का टापू कहा जाता था वहां अचानक दलितों, गरीबो के साथ अमानवीय व्‍यवहार और मारपीट के मामले बढ़ गए हैं। कई मामलों को महीनों दबा कर रखा गया लेकिन वायरल हुए वीडियो कानून व्‍यवस्‍था की पोल खोल रहे हैं। 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र विदिशा में छेड़छाड़ से तंग आकर लगभग दो महीने पहले बीए फर्स्ट इयर की छात्रा ने आत्महत्या कर ली थी। इस छात्रा के पुजारी पिता ने बीते हफ्ते आत्‍महत्‍या कर ली क्‍योंकि आरोपी बीजेपी से जुड़े हैं पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई नहीं कर रही थी। यह सीधी जैसा ही मामला है जहां बीजेपी से जुड़े दबंग नेता ने एक आदिवासी के मुंह पर पेशाब की थी। इस मामले में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कथित पीडि़त आदिवासी के चरण पखारे तथा उसे पांच लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की है। अब विदिशा के मामले में भी पीडि़त पुजारी के परिवार को पांच लाख की सहायता दी गई है। मुख्‍यमंत्री चौहान पीडि़त परिवार से मुलाकात भी करेंगे। 

बीते पंद्रह दिनों में ऐसे अनेक मामलों ने बीजेपी सरकार की नींद उड़ा दी है। इन मामलों से बिगड़ रही छवि को सुधारने के लिए अंतत: मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहनों की ही शरण ही है। सीएम चौहान ने लाड़ली बहना योजना की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए एक घोषणा और की है। उन्‍होंने कहा कि एक हजार की राशि बढ़ा कर 3 हजार तक कर दी जाएगी।

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह की यह घोषणा कांग्रेस की नारी सम्‍मान योजना का जवाब तो हैं ही प्रदेश में रोज वायरल हो रहे वीडियो से हो रही किरकिरी से बचने का जतन भी है। यानी सत्‍ता में वापसी का राजनीनिक ‘स्‍वार्थ’ के लिए सरकारी सहायता का ‘परमार्थ’ किया जा रहा है। 

टिफिन से तकलीफ या तूफान 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी मंत्री माने जाने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह इनदिनों खफा खफा से हैं और दरकिनार भी। कुछ दिन पहले की ही बात है जब उनकी तूती बोलती थी। इतनी कि बुंदलेखंड कद्दावर मंत्रियों गोपाल भार्गव, गोविंद सिंह राजूपत और विधायकों ने एक हो कर उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इन मंत्रियों ने भोपाल आ कर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत कर दी थी।

तब भी भूपेंद्र सिंह का कुछ नहीं बिगड़ा था उल्‍टे शिकायतकर्ताओं को ही नसीहत मिली थी। लेकिन फिर एकाएक नजारें बदलें। भूपेंद्र सिंह के खिलाफ लोकायुक्‍त ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी। आय से अधिक सम्‍पत्ति के मामले में इस जांच की खबर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल दौरे से मंत्री भूपेंद्र सिंह को दूर कर दिया गया। यह निर्णय पीएमओ ने लिया था। 

इसके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं। उन्‍हें तकलीफ है कि अपनों का भी साथ नहीं मिला है। यही वजह है कि जब मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने कैबिनेट की टिफिन पार्टी बुलाई तो वे उसमें भी नजर नहीं आए। जबकि मंत्री गोपाल भार्गव ने सीएम चौहान के साथ बैठक कर खाना खाया और मीडिया से बात करते समय मंत्री गोविंद सिंह राजपूत मुख्‍यमंत्री के साथ खड़े थे। समझा जा रहा है कि खफा मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दूरी बनाते हुए टिफिन पार्टी में शामिल होने के बदले अपने क्षेत्र में सक्रिय रहना उचित समझा। 

अबकी रहे मूक तो हो जाएगी चूक

विधानसभा चुनाव के लिए जनता के बीच जाने के पहले विधानसभा का पांच दिनी सत्र मंगलवार 11 जुलाई से आरंभ हुआ है। यह इस विधानसभा का अंतिम सत्र है। यह अंतिम सत्र एक तरह से परीक्षा का घड़ी भी है और अवसर भी। सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी कि जब तक विपक्ष जिन मुद्दों पर सरकार पर हमले कर रहा था वे मुद्दे पर सदन में उठाए जाएंगे। सरकार को जवाब देना पड़ेगा। सवाल-जवाब की यह कार्रवाई दर्ज होगी। इसलिए कांग्रेस के लिए मत चूको चौहान की तर्ज पर मौका है वह अब मूक रही चूक जाएगी।    

विधानसभा का यह आखिरी सत्र है। कांग्रेस मैदान में बीजेपी को घेर रही है। जबलपुर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीजेपी सरकार के भ्रष्‍टाचार और घोटालों पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने इसी आधार पर सरकार को भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर घेरने के लिए रणनीति बनाई। इसबीच हुआ सीधी कांड तथा प्रदेश में दलितों के अत्‍याचार के मामले एक और मौका जब कांग्रेस सदन में बीजेपी को घेर सकती है। प्रदेश अध्‍यक्ष कमलनाथ के निवास पर हुई विधायक दल की बैठक में तय भी यही हुआ है कि कांग्रेस सदन में सीधी कांड, महाकाल लोक भ्रष्‍टाचार, महंगाई जैसे मुद्दों पर मुखर होगी। 

सत्र के पहले दिन रैगांव से कांग्रेस विधायक कल्पना वर्मा टमाटर और मिर्च की माला पहनकर विधानसभा परिसर में पहुंचीं। जबकि सदन की कार्यवाही प्रारंभ होते ही कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने आदिवासी अत्याचार का विषय उठाया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने सदन काम रोक कर सीधी मामले पर चर्चा करवाने का प्रस्ताव दिया। स्‍वाभाविक है कि सत्‍ता पक्ष ने विरोध किया और इस विवाद के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी।

कांग्रेस के लिए मौका यही है कि वह सरकार को सदन की कार्यवाही तय समय के पहले स्‍थगित न होने दे तथा अपने मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाए ताकि उसकी आवाज सदन के बाहर तक पहुंचे।