जी भाईसाहब जी: किसानों की जेब खाली, सरकार के वादे आसमानी

MP Politics: मध्‍यप्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। बीजेपी जनता को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के ज्‍यादा से ज्‍यादा कार्यक्रम आयोजित करवा रही है मगर किसानों के लिए उसके वादे आसमानी साबित हो रहे हैं। ऐसे आसमानी वादे कि किसानों का आक्रोश खत्‍म होने की जगह बढ़ रहा है। तभी विपक्ष पूछ रहा है कि वे किसान कौन है जिनकी आय दोगुनी हुई है।

Updated: Apr 26, 2023, 04:11 PM IST

बिगड़ी फसल के बीच मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
बिगड़ी फसल के बीच मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

रूठा है तो मना लेंगे/ बिगड़ा है तो बना लेंगे
रोता है तो हँसा लेंगे/ फिर भी न मना तो
फिर भी न माना तो न माना तो
देके खिलौना बहला लेंगे। 

फिल्‍म ज्‍वार भाटा के लिए गीतकार राजेंद्र कृष्‍ण का लिखा यह गीत इनदिनों किसानों की खाली जेब और प्रदेश की बीजेपी सरकार के आकाश भर वादों को देख बार-बार याद आ रहा है। मध्‍यप्रदेश में फसल की बर्बादी और उपज के सही दाम नहीं मिलने से उपजी नाराजगी को दूर करने के लिए शिवराज सरकार वादे का खिलौना दे कर सोचती है कि अब किसान खुश हो जाएंगे और उसे सत्‍ता में लौटा देंगे। मगर यह लीपापोती हर बार भारी पड़ जाती है।

ऐसा ही कुछ इसबार भी हुआ है। किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए बीजेपी किसान मोर्चा ने कार्यक्रम किए ही थे कि सरकार की एक बात से किसान फिर बिफर गए। हुआ यूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रीवा में आयोजित कार्यक्रम में बीजेपी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कह दिया कि बीजेपी ने किसानों की आय दोगुनी से ज्यादा होने का भी वादा किया था। यह वादा पूरा हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस बयान के बाद राजनीति गर्मा गई। विपक्ष को मौका मिला और उसने सवाल भी पूछे कि विधानसभा में तो कृषि मंत्री बताते रहे हैं कि बीजेपी सरकार में किसानों की आय दोगुनी करने की कोई योजना थी ही नहीं तो आय कैसे दोगुनी हो गई? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सवाल उठाए कि सरकार हिसाब दे कि किन किसानों की आय दोगुनी हुई है। बीजेपी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी बंद कर दी, एमएसपी पर मिलने वाला बोनस बंद कर दिया, कर्जमाफी न होने से 34 लाख किसान डिफाल्टर बना दिए गए, बिजली महंगी हो गई है, ओलावृष्टि का मुआवजा नहीं दिया गया है। कमलनाथ ने कहा कि 22 मार्च 2022 को कृषि पर बनी स्थाई समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट पेश में बताया था कि मध्य प्रदेश के किसानों की मासिक आय 9740 रुपए से घटकर 8339 रुपए  हो गई है।

जवाब में मुख्‍यमंत्री चौहान ने उपज बढ़ने के आंकड़े गिना दिए। बयानों की राजनीति से अलग बीजेपी संगठन जानता है कि किसानों की जेब खाली है और सरकार को लेकर नाराजगी है। इसीलिए शिवराज सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर अनुदान सहायता राशि में प्रति हेक्टेयर 500 से 2000 रुपए की बढ़ोतरी की है। 

बीजेपी सरकार चाहे जितने वादे कर ले किसानों की सहायता के लिए व्‍यापक कार्य करना होगा। बहरहाल, वादों की झड़ी और कथा आयोजनों के जरिए गांवों में धार्मिक वातावरण बना कर बीजेपी आय और अधिकार के सवालों पर चादर डालना चाहती है। उसकी कोशिश है कि किसी तरह बहला कर वह किसानों का ध्‍यान भटका दे और वादों की फसल काट ले। 

सरकार और प्रशासन से उपेक्षित अतिथि शिक्षकों ने बाबा के दरबार में लगाई अर्जी 

चुनाव करीब हैं और क्‍या मुख्‍यमंत्री और मंत्री, क्‍या सत्‍ता पक्ष और विपक्ष, हर नेता धार्मिक स्‍थलों और बाबाओं की शरण में हैं। मुराद पूरी करने के लिए प्रदेश में कथा सहित अन्‍य धार्मिक आयोजनों का सिलसिला जारी है। जब सरकार ही बाबाओं की शरण में हो तो फिर अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए बरसों से आंदोलन कर रहे अतिथि शिक्षक भी ऐसा करे तो आश्‍चर्य ही क्‍या?  

अतिथि शिक्षक संघ बीते 15 वर्षों से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। 5 जिलों के अतिथि शिक्षकों ने ओरछा धाम से बागेश्वर धाम तक न्याय यात्रा निकाली और बागेश्वर धाम के पीठाधिश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में पहुंच गए। उन्‍होंने प्रदेश के 70 हजार अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की अर्जी लगा कर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से सहायता मांगी। यहां भी उन्‍हें आश्‍वासन ही मिला है।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण ने अर्जी लेकर आए अतिथि शिक्षकों से कहा है कि सरकार या विपक्ष के फैसले पर हम कुछ नहीं कहेंगे। हमारे एक ही सरकार है बालाजी सरकार उन तक हम आपकी अर्जी पहुंचा देंगे।

चुनावी दौर में जन के लिए मन की बात का सहारा

चुनावी दौर में राजनीतिक दलों की योजना होती है कि उसके कार्यकर्ता अधिक से अधिक सक्रिय हों तथा जनता के बीच रहें ताकि चुनाव में बहुमत हासिल किया जा सके। मध्‍यप्रदेश में 2003 से सत्‍ता में बनी हुई बीजेपी भी यही चाहती है मगर उसकी चिंता यह है कि वरिष्‍ठ नेता और कार्यकर्ता सक्रिय नहीं हैं। मैदानी स्थिति जानने तथा रूठों को मनाने का जतन करने के लिए अपने दो दर्जन प्रमुख नेताओं को अलग अलग जिलों में भेजने वाली बीजेपी अब कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए मन की बात का सहारा ले रही है। 

जनता तथा कार्यकर्ताओं में सरकार के खिलाफ उपजी नाराजगी को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहारा लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी कुछ-कुछ समय में प्रदेश के अलग अलग हिस्‍सों में सभाएं कर रहे हैं ताकि बीजेपी सरकार के प्रति फैली नाराजगी उनकी लो‍कप्रियता के पीछे छिप जाए। अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए भी बीजेपी ने ऐसा ही नुस्‍खा खोजा है। 

30 अप्रैल को पीएम मोदी की मन की बात का 100 वां संस्करण हैं। इस दिन प्रदेश में सभी 53 हजार गांवों, 66 हजार पोलिंग बूथ और नगर में सभी वार्डों में मन की बात सुनने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कहा गया है कि मन की बात कमरों में बैठकर नहीं सुनना है बल्कि मैदान में जहां व्यवस्था है वहां जा कर सुनना है।

बीजेपी ने प्रशासन को आयोजन की व्‍यवस्‍था करने का दायित्‍व दिया है जबकि कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अपने साथियों को लाए ताकि मोदी के मन की बात के सहारे पार्टी जनमत जुटाने में कामयाब हो सके। 

बिखराव को समेटने की कोशिश में प्रदेश कांग्रेस 

मध्यप्रदेश में सत्‍ता वापसी के लिए कांग्रेस ने हर कोने को मजबूत करना तथा बिखरे सूत्रों को समेटना आरंभ कर दिया है। कमरा बैठकों में बनी रणनीतियों को क्रियान्वित करने से लेकर लो‍क लुभावनी योजनाओं की घोषणाओं के सहारे कांग्रेस ने बीजेपी को मात देने की तैयारी की है। 

बीजेपी को उसके घर में यानी कि अजेय मानी जाने वाली सीटों पर चुनौती देने के लिए राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह प्रदेशभर में दौरे कर रहे हैं। पहले चरण में उन 66 विधानसभा क्षेत्रों का चुनाव किया गया है जहां बीजेपी तीन या उससे ज्यादा बार से जीत रही है। इसके साथ ही प्रदेश के वरिष्‍ठ नेताओं को विभिन्‍न जिलों का प्रभार दे कर कार्यक्रम करने के निर्देश दिए गए है। ये नेता हर क्षेत्र में मीटिंग करने के साथ ही रैलियां कर बीजेपी सरकार की पोल खोलेंगे। 

इस महा जनसंपर्क अभियान के साथ ही महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना की टक्‍कर में कमलनाथ नारी सम्मान योजना शुरू करने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत 9 मई से होगी। कांग्रेस कार्यकर्ता घर-घर जाकर इसके फॉर्म भरवाएंगे। इस योजना के तहत कांग्रेस की सरकार बनने पर महिलाओं को 1500 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी। महंगाई से निपटने के लिए 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया है। 

योजनाएं कई हैं लेकिन कांग्रेस में भी अंदरूनी खींचतान, प्रभारियों की नियुक्ति में भेदभाव तथा एकजुटता का अभाव जैसे कई मुद्दे प्रभावी बने हुए हैं। देखना होगा इन मसलों का निराकरण कैसे होता है।