Radha Ashtami 2020: राधा अष्टमी पर पूजन से पूरी होगी मनोकामना

Radha Ashtami in 2020: राधा अष्टमी पर राधा रानी का जन्मोत्सव पूरे उत्साह और श्रद्धा के मनाया जाएगा, राधा जी को प्रसन्न करने से भगवान कृष्ण की कृपा मिलती है

Updated: Aug 26, 2020, 02:16 AM IST

Photo Courtesy:  Wallpaper Cave
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राधा अष्टमी का महत्व कृष्ण जन्म अष्टमी की तरह है। यह पर्व विशेष कर मथुरा, वृंदावन और बरसाना में बड़े ही धूमधाम और भक्तिभाव से मनाया जाता है। कहते हैं भगवान श्री कृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं, कृष्ण के नाम से पहले उनका नाम लेना जरूरी है, वेदों और पुराणों में राधा की तारीफ 'कृष्ण वल्लभ' के रुप में की गई है। कहा जाता है राधा नाम जपने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसदिन राधा की धातु से बनी मूर्ति का पूजन किया जाता है। पूजा के बाद प्रतिमा को योग्य ब्राह्मण को दान की जाती है।

राधारानी को वृंदावन की अधीश्वरी देवी हैं। माना जाता है कि जिसने राधा जी को प्रसन् कर लिया उसे भगवान कृष्ण की कृपा मिल जाती है। इसलिए इस दिन राधा-कृष्ण दोनों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में राधा जी को लक्ष्मी जी का अवतार माना गया है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को रखने से मानव को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। 

दोपहर में राधा अष्टमी की पूजा का है विधान

नारद पुराण के अनुसार राधाजी का पूजन दोपहर में किया जाता है। उदया तिथि की मान्यता के अनुसार 26 अगस्त को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि रहने से इस दिन भी अष्टमी तिथि मान्य रहेगी। इस दिन अनुराधा नक्षत्र का पावन भी संयोग बन रहा है। ऐसे में 26 अगस्त को भी लक्ष्मी पूजन और राधाष्टमी व्रत का फल प्राप्त होगा।

राधाजी को श्रीकृष्ण की बाल सहचरी, जगजननी भगवती शक्ति के रुप में पूजा जाता है। राधा के बिना श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व अधूरा है। कहा जता है कि श्रीकृष्ण के साथ से राधा को हटा दिया जाए तो श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व का माधुर्य खत्म हो जाता है। राधा के ही कारण श्रीकृष्ण को रासेश्वर कहा जता है।

कैसे करें राधाअष्टमी की पूजा

इस दिन प्रातःकाल स्नानादि करके मंडप के नीचे एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं, उस पर श्री राधा कृष्ण के युगल रूप की प्रतिमा विराजित करें। राधा कृष्ण के युगल प्रतिमा को स्नान करवाएं, रोली,चंदन का तिलक लगाएं। पुष्प चढ़ाएं,भोग लगाएं, राधाजी को पीली मिठाई या फल प्रिय हैं।

 भोग में तुसली पत्र अवश्य डालें। राधा रानी के मंत्रों का जप करें। राधा चालीसा और राधा स्तुति का पाठ शुभफल दायक होता है। इसके बाद राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की आरती करें। और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करें।

राधा जी के पूजन से मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण  

कहा जाता है कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। जो महिलाएं राधा अष्टमी का व्रत करती हैं, राधा रानी उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं। साथ ही घर परिवार में सुख-समृद्धि और शांति रहती है, तथा नि:संतानों को संतान सुख मिलता है। इस दिन व्रत रहने से घर में  लक्ष्मी का वास होता है। सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जीवन सुखमय हो जाता है।

कोरोना की वजह से राधा अष्टमी पर सार्वजनिक आयोजन नहीं

बरसाना को राधारानी का जन्म स्थान माना जाता है। बरसाना में इसदिन भक्ति भाव के साथ राधा अष्टमी मनाई जाती है। राधा अष्टमी के मौके पर उत्तर प्रदेश के बरसाना में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। दिन-रात चहल पहल रहती है। कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों होते हैं। इस साल कोरोना की वजह से कोई आयोजन नहीं किया जा रहा है। वैसे हर साल यहां धार्मिक गीतों और भजन संध्या का आयोजन होता है। भक्त इस मौके पर उपवास रखते हैं। मान्यता है कि राधा अष्टमी का उपवास रखनेवाले को राधा रानी दर्शन देती हैं। इस बार राधा अष्टमी का उपवास 26 अगस्त के दिन रखा जाएगा।