Lado campaign : बाल विवाह रोकथाम के लिए 51 हज़ार का पुरस्कार

Child Marriage in MP : बाल विवाह कराने पर 2 वर्ष की सजा व 1 लाख तक का जुर्माना है

Publish: Jun 17, 2020, 09:30 PM IST

Photo courtesy : the week
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मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बाल विवाह का रिवाज है। बाल विवाह रोकने के लिए कानून बनाए गए, सख्‍ती भी दिखाई गई मगर उनसे मनचाही सफलता नहीं मिली। ऐसे में मध्य प्रदेश में इस कुप्रथा को रोकने के लिए समाज के प्रमुख लोगों को जोड़कर जागरुकता अभियान चलाया गया है। इस अभियान को नाम दिया गया है - लाडो अभियान।

बाल विवाह प्रथा को खत्म करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में वर्ष 2013 से लाड़ो अभियान संचालित किया जा रहा है लाड़ो अभियान का मुख्य उद्देश्य जनसामान्य की सोच में परिवर्तन लाते हुए बाल विवाह को खत्म करना है साथ ही बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधनों का प्रचार-प्रसार करना है। प्रयास यह करना है कि बाल विवाह तय होने के पूर्व ही रोका जावे।

बाल विवाह क्या है  

बालिका की 18 से कम से कम बालक की 21 वर्ष से कम उम्र में किया गया विवाह बाल विवाह कहलाता है। अधिनियम अनुसार ऐसे विवाह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति सजा का भागीदार होता है चाहे वह विवाह में सेवा देने वाले सेवा प्रदाता ही क्यों न हो। बाल विवाह कराने पर 2 वर्ष की सजा व 1 लाख तक का जुर्माना या इससे भी अधिक हो सकता है। अभियान में सहयोगी बाल विवाह रोकथाम में प्रदेश का प्रत्येक नागारिक की जबावदारी है। बाल विवाह रोकने के लिये हर जनसामान्य सहयोगी है, विशेषकर शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, विवाह में सेवा देने वाले प्रदाता जैसे टेन्ट हाउस, बैण्ड बाजा, कार्ड प्रिन्टर घोड़ी वाला, ब्यूटी पार्लर, हलवाई, धर्म गुरू, समाज के मुखिया आदि।

लाडो अभियान में समाज के प्रमुख लोगों को साथ लेकर जागृति का कार्य किया जा रहा है। इस अभियान में कोर सदस्य के रूप में आप भी शामिल हो सकते है व सक्रिय भूमिका निभाते हुए आपके अपने क्षेत्र का बाल विवाह रोकने का कार्य कर सकते है।

सभी स्कूलों के बच्चे ब्रांड एम्बासेडर बन लाड़ो अभियान का प्रचार-प्रसार कर बाल विवाह में अहम भूमिका निभा सकते है।

बाल विवाह रूकवाने पर पुरस्कार 

लाड़ो अभियान अंतर्गत प्रदेश में बाल विवाह रोकथाम के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 व्यक्तियों को प्रतिवर्ष रूपये 51 हजार पुरस्कार दिया जायेगा बाल विवाह की सुचना हेतू सपंर्क- बाल विवाह की सुचना जिला कलेक्टर, स्थानीय पुलिस थाना, चाईल्ड लाईन 1098, महिला हेल्प लाईन 1090. महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग के अधिकारियों को कर सकते है।

अभियान के प्रचार-प्रसार के कारण सामाज में जागरूकता कार्यक्रम अन्य माध्यमों से रूक लगाई गई है व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान भी चलाये जा रहे हैं लेकिन अभी भी बहुत सामान्य रूप से बाल विवाह देखने में पाया जाते है।

अभियान के कुछ अनुभव

  • बालिका की उम्र 18 साल विवाह के लिए उक्त मानी गई है हमारे अनुभव में पाया गया कि 18 साल उम्र की बालिकाओं के साथ हिंसा अधिक होती है। दर्ज प्रकरणों में 23 प्रतिशत घरेलू हिंसा पीडित 18 से 20 साल की उम्र की पाई गई है जिनका विवाह 18 की उम्र से पहले हो गया था।
  • 18 साल की उम्र में विवाह होने पर गर्भवती होने पर 7.3 प्रतिशत (NFHS IV) एनीमिया पाई गई हैं। जिससे पैदा होने वाला बच्चा व माँ दोनों ही कुपोषण के जोखिम में होते हैं।
  • 18 साल की 60 प्रतिशत युवतियाँ शिक्षित (NFHS IV) पाई गई हैं। हिंसा होने के कारण अधिकतर युवतियाँ उसे सहती रहती है व कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं देती हैं।
  • कन्या विवाह योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा 52 हजार रुपए युवती के खाते में डाले जाते हैं। पाया गया कि योजना का लाभ लेने के लिए माता-पिता नाबालिग बालिकाओं की अधिक उम्र दिखा कर विवाह कर देते हैं। ऐसे मामले पुलिस तक भी नहीं जा पाते हैं।
  • यह भी अनुभव रहा कि जब किसी बाल विवाह की जानकारी प्राप्त होने पर प्रशासन के द्वारा त्वरित कार्रवाई नहीं होती है और सारी जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता पर डाली दी जाती है तब बाल विवाह उस जगह न कर कहीं और जाकर किये जाने का प्रयास किया जाता है।
  • 6. हर धर्म में 18 साल ही विवाह की वयस्‍क उम्र मानी गई है किन्तु मुस्लिम धर्म में बालिग होने से पहले 304 प्रतिशत बालिकाओं का निकाह कर दिया जाता है। इस कारण अधिकतर बालिकाएं 18 उम्र की होने से पहले ही गर्भवती हो जाती हैं और हिंसा की शिकार भी होती हैं।