CG में आरक्षण पर रार बरकरार, हाईकोर्ट में महाधिवक्ता ने की राज्यपाल के खिलाफ पैरवी

दिसंबर में राज्य सरकार द्वारा पारित आरक्षण संबंधी विधेयक हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास लंबित है, मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया है।

Updated: Feb 10, 2023, 04:02 AM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण बिल को लेकर मचा घमासान का थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राज्यपाल की पैरवी के बजाए उनके खिलाफ पैरवी किए जाने को लेकर राज्यपाल ने नाराजगी जताई है। राज्यपाल के सचिव ने राज्य शासन के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर राज्य के महाधिवक्ता को लेकर कड़ी टिपण्णी की है। 

उधर, हाईकोर्ट से राज्यपाल सचिवालय को नोटिस दिए जाने के खिलाफ भी एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि किसी भी केस में आर्टिकल 361 के तहत राष्ट्रपति या राज्यपाल को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट में गुरुवार को इस मामले में अंतरिम राहत को लेकर हुई बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। 

दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार और गवर्नर के बीच जारी संग्राम अब न्यायालय तक पहुंच गया है। राज्य सरकार ने आरक्षण संबंधी विधेयक को लेकर न्यायालय में रिट याचिका दायर कि है। इसमें राज्यपाल को पक्षकार बनाया गया है। साथ ही न्यायालय की ओर से राज्यपाल को नोटिस भेजा गया है। इस याचिका पर बहस के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता ने राज्यपाल के खिलाफ़ पैरवी की थी। अब राज्यपाल के सचिव ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर तीन दिन के भीतर जवाब तलब किया है।

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इसमें लिखा गया है कि राज्य शासन का माननीय राज्यपाल महोदया के विरुद्ध उक्त प्रकार से रिट याचिका प्रस्तुत करना और उसमें राज्य के एडवोकेट जनरल द्वारा माननीय राज्यपाल के विरुद्ध पैरवी करना माननीय उच्चतम न्यायालय की उक्त संवैधानिक पीठ द्वारा पारित निर्णय दिनांक 24 जनवरी 2006 के पैरा 173 के पूर्णतः विरुद्ध है। माननीया राज्यपाल महोदया ने राज्य शासन एवं राज्य के महाधिवक्ता के विरुद्ध घोर अप्रसन्नता व्यक्त की है।

बता दें कि उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की थी। उन्होंने तर्क कि, राज्यपाल को विधेयक रोकने का अधिकार नहीं है। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असमति दे सकते हैं। इसपर राज्यपाल को कोर्ट ने नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई थी। 

दरअसल, दिसंबर महीने में विधानसभा से आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद से ही राज्यपाल ने रोक रखा है। इसे न तो सरकार को लौटाया गया और न ही इस पर राज्यपाल ने अब तक हस्ताक्षर ही किए हैं। इसे लेकर राज्य सरकार अब हाईकोर्ट पहुंच गई है। सरकार की ओर से कहा गया कि राज्यपाल की ओर से इस पर हस्ताक्षर नहीं किया जा रहा है, जो अनुच्छेद 200 का उलंघन है। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और महाअधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने पैरवी की है।