इंदौर में वैज्ञानिक बना डिजिटल अरेस्ट का शिकार, फर्जी ED अफसर बनकर आरोपियों ने लूटे 71 लाख रुपए
परमाणु ऊर्जा विभाग से जुड़े एक संस्थान के वैज्ञानिक को जालसाजों ने 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और 71 लाख रुपये ठग लिए।
इंदौर। मध्य प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मध्य प्रदेश में भी रोज डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं। परमाणु ऊर्जा विभाग से जुड़े एक संस्थान के वैज्ञानिक को जालसाजों ने इसका शिकार बनाया है। आरोपियों ने वैज्ञानिक को सात दिन डिजिटल अरेस्ट रखा और 71 लाख रुपए लूट लिए।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने जानकारी देते हुए बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने राजा रमन्ना एडवांस्ड टेक्नोलॉजी सेंटर (आरआरसीएटी) में वैज्ञानिक सहायक के रूप में काम करने वाले अनिल कुमार को 1 सितंबर को फोन किया और खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताया। उसने कहा कि दिल्ली में एक फोन से महिला उत्पीड़न वाले टेक्स्ट मैसेज भेजे गए हैं और वह सिम आपके नाम पर रजिस्टर है।
अपराधियों ने अनिल और उनकी पत्नी को सात दिनों तक न सिर्फ अपने सर्विलांस पर रखा बल्कि नकली सीबीआई और ईडी अफसर बनकर वीडियो कॉल पर गहन पूछताछ भी करते रहे। वारदात का तरीका वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल के साथ हुई सात करोड़ रुपये की ठगी जैसा ही है। आरोपितों ने गोपनीयता रखने की शर्त पर अनिल और उनकी पत्नी से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ करना शुरू कर दी।
इस दौरान फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारी राकेश कुमार ने अनिल को सीबीआई का फर्जी नोटिस भेजा और कहा कि मनी लान्ड्रिंग और मानव तस्करी में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। तुम सरकारी अफसर हो और बेगुनाह प्रतीत होते हो। लिहाजा तुम्हे गिरफ्तार न करने और केस को प्राथमिकता से लेने की सीबीआई कोर्ट से अपील की जाएगी, लेकिन इसके लिए पति-पत्नी को डिजिटल सर्विलांस पर रखा जाएगा।
उनसे कहा गया कि चौबीसों घंटे डिजिटल सर्विलांस पर रहना होगा। 17 बच्चों की जिंदगी का सवाल है। केस में बैंक, पुलिस अधिकारी भी संलिप्त हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की टीम निगरानी कर रही है।