तीन साल में 21 हजार अरबपतियों ने छोड़ा देश, मोदी सरकार में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस पर कांग्रेस हमलावर

पिछले एक दशक में 17.5 लाख से अधिक भारतीयों ने दूसरे देश की नागरिकता ली है। अनुमान के मुताबिक 2022 और 2025 के बीच 21,300 अरबपतियों ने भारत छोड़ा है: जयराम रमेश

Updated: Jan 19, 2025, 03:03 PM IST

नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले कांग्रेस ने मोदी सरकार में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार में अनईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिला है।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने रविवार को बयान जारी कर कहा, 'मोदी सरकार लंबे समय से भारत में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में आसानी) में सुधार की इच्छा को लेकर ढिंढोरा पिटती आ रही है। फिर भी पिछले दशक में हमें निजी निवेश में कमी ही देखने को मिली है यह रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया है और बड़ी संख्या में बिज़नेसमैन भारत छोड़ कर विदेश चले गए हैं। GST और इनकम टैक्स दोनों को मिलाकर बनने वाली पेचीदा, दंडात्मक और मनमानी कर व्यवस्था भारत की समृद्धि के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बनी हुई है। यह पूरी तरह से कर आतंकवाद के जैसा है। इससे ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की जगह अनईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (व्यापार करने में असुविधा) को बढ़ावा मिल रहा है।' 

जयराम रमेश ने आगे कहा, 'निवेश का सबसे बड़ा भाग, निजी घरेलू निवेश, 2014 से लगातार कमज़ोर रहा है। डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान यह मजबूती से GDP के 25-30% के रेंज में था। पिछले दस वर्षों में, यह गिरकर GDP के 20-25% के रेंज तक आ गया है। निवेश में इस सुस्ती के साथ-साथ उच्च नेट-वर्थ वाले लोगों का बड़े पैमाने पर पलायन भी हुआ है। पिछले एक दशक में 17.5 लाख से अधिक भारतीयों ने दूसरे देश की नागरिकता ली है। अनुमान के मुताबिक 2022 और 2025 के बीच 21,300 अरबपतियों ने भारत छोड़ा है।'

जयराम रमेश के मुताबिक ये सब तीन कारणों से हो रहा है। पहला कारण, एक जटिल GST है। पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के मुताबिक, जिस GST को प्रधानमंत्री ने गुड एंड सिंपल टैक्स बताया था, उसमें सेस समेत 100 अलग-अलग टैक्स रेट्स हैं। इतने ज्यादा टैक्स रेट्स और कन्फ्यूजन होने की वजह से पिछले वित्त वर्ष में 2.01 लाख करोड़ रुपए की GST चोरी के मामले सामने आए हैं, जो वित्त वर्ष 2023 में रिपोर्ट किए गए 1.01 लाख करोड़ रुपए से लगभग दोगुना है। 18,000 फ़र्ज़ी कंपनियों का खुलासा हुआ है; और भी बहुत कुछ गलत सामने आने की आशंका है।

जयराम रमेश ने दूसरा कारण बताते हुए कहा कि दावों के विपरीत होने के बावजूद, भारत में चीनी आयात 2023-24 में 85 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड व्यापार घाटे के साथ बिना किसी रोक-टोक के जारी है। इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को नुक़सान पहुंचा है, विशेष रूप से अधिक श्रम वाले क्षेत्रों में। वहीं, तीसरा कारण रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि कमज़ोर उपभोग और स्थिर मजदूरी ने व्यक्तिगत ऋण की उपलब्धता के बावजूद भारत की उपभोग वृद्धि को कम कर दिया है। 

जयराम रमेश ने कहा कि कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, UPA के कार्यकाल में कृषि श्रम की वास्तविक मजदूरी प्रति वर्ष 6.8% बढ़ी थी, और मोदी सरकार के कार्यकाल में प्रति वर्ष 1.3% की गिरावट आई है। PLFS डेटा से पता चलता है कि 2017 और 2022 के बीच हर तरह के श्रमिकों की औसत वास्तविक कमाई स्थिर रही है, चाहे वे नियमित रूप से वेतन प्राप्त करने वाले हों, कैजुअल वर्कर हों या स्वरोज़गार करने वाले हों।

कांग्रेस महासचिव ने आखिर में कहा कि पीछे की ओर धकेलने वाली इन नीतियों ने भारत में निवेशकों का भरोसा तोड़ दिया है। विश्वास को फिर से बहाल करने के लिए, आगामी बजट में रेड राज और कर आतंकवाद को खत्म करना होगा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियों की रक्षा के लिए कार्रवाई करनी होगी और वेतन और क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए निर्णायक क़दम उठाने होंगे जो बदले में भारतीय बिज़नस को निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे कुछ भी कम में काम नहीं चलेगा।