कानूनी फीस के नाम पर अमेज़न ने दी 8500 करोड़ की रिश्वत, कांग्रेस ने की SC की निगरानी में जांच की मांग

अमेज़न पर आरोप है कि उसने भारत में कानूनी फीस के नाम पर साढ़े आठ हज़ार करोड़ से ज़्यादा की रिश्वत दी है, यह इस अवधि में कंपनी के कुल कमाई का बीस फीसदी बताया जा रहा है, कांग्रेस ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है

Updated: Sep 22, 2021, 12:44 PM IST

नई दिल्ली। भारत में अमेज़न द्वारा कानूनी फीस के तौर करीब साढ़े आठ हज़ार करोड़ की रिश्वत देने का मामला अब तुल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।  

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि दो सालों की अवधि में अमेज़न भारत में कानूनी फीस के तौर पर 8546 रुपए की रिश्वत दी। लिहाज़ा उन्होंने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग की है। इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने इस पूरे मामले में सरकार से जवाब भी मांगा है।  

रणदीप सुरजेवाला ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पिछले एक साल में 14 करोड़ रोज़गार खत्म हो चुके हैं। दुकानदार, छोटे उद्योग, एमएसएमई का धंधा चौपट हो गया है। सुरजेवाला ने कहा कि अब समझ में आ गया है कि आखिर इतनी नौकरियों के जाने का कारण क्या है। सुरजेवाला ने कहा कि विदेशी इ कॉमर्स कंपनी अमेज़न ने भारत में कानूनी फीस के नाम पर 8,546 करोड़ रुपए खर्च किए। अब यह बात निकल कर सामने आयी है कि यह रकम रिश्वत के तौर पर दी गई।  

इस पूरे मामले में रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार से कुछ सवाल भी पूछे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि आखिर यह राशि भारत सरकार के किन अधिकारियों और सफेदपोश राजनेताओं को मिली? सुरजेवाला ने आशंका ज़ाहिर करते हुए कहा कि क्या यह रकम भारत में कानून व नियम बदलने के लिए दिए गए ताकि छोटे-छोटे कानूनी दुकानदारों का धंधा बंद कर अमेज़न जैसी ई कॉमर्स कंपनियों का धंधा चल सके? सुरजेवाला ने कहा कि जब अमेरिका और भारत दोनों ही देशों में लॉबिंग करना और रिश्वत देना अपराध है, तब इतनी बड़ी रकम रिश्वत के तौर पर किसे और क्यों दी गई। कांग्रेस नेता ने कहा कि क्या इस तथाकथित रिश्वत घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नहीं होनी चाहिए?  

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेज़न ग्रुप की 6 कंपनियों (अमेज़न इंडिया लिमिटेड, अमेज़न रिटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, अमेज़न सेलर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड, अमेज़न इंटरनेट सर्विसेज लिमिटेड, अमेज़न होलसेल प्राइवेट लिमिटेड और अमेज़न ट्रांसपोर्टेशन लिमिटेड) ने दो सालों में कानूनी शुल्क के तौर पर 8,546 करोड़ रुपए खर्च किए। अमेज़न ने 2018-19  में 3,420 करोड़ रुपए और 2019-20 में 5,126 करोड़ रुपए खर्च किए। जो कि इस अवधि में अमेज़न के कुल 45000 करोड़ के राजस्व का 20 प्रतिशत है। इस पूरे मामले में यह आशंका जताई जा रही है कि अमेज़न ने भारत सरकार में पदस्थ अधिकारियों को यह राशि रिश्वत के तौर पर दी है। आरोपों के मुताबिक अमेज़न के कानूनी प्रतिनिधियों ने भारत सरकार में पदस्थ अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए कंपनी के कानूनी शुल्क भुगतान का उपयोग किया। 

इस मामले को व्यापारियों के संगठन कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष भी खड़ा किया है। संगठन के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है। खंडेलवाल ने मंत्री को लिखे पत्र में अमेज़न द्वारा कानूनी शुल्क के नाम पर किया गए भुगतान का हवाला देकर कहा है कि जिस तरह से कंपनी इतनी बड़ी रकम खर्च कर रही है, उससे इस बात की आशंका काफी प्रबल है कि यह राशि भारत सरकार के अधिकारियों की जेब में गई है। अन्यथा हर साल घाटा झेलने वाली कंपनी इतनी बड़ी रकम कानूनी फीस पर खर्च क्यों करेगी?