आर्थिक मोर्चे पर देश के लिए आई बुरी खबर, 21 महीने के सबसे निचले स्तर पर GDP ग्रोथ
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन के कारण देश की GDP ग्रोथ धीमी हुई है। इससे पहले 2022- 2023 की तीसरी तिमाही में ग्रोथ 4.3% रही थी।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तमाम दावों के बीच आर्थिक मोर्चे पर भारत को बड़ा झटका लगा है। इस वित्तीय वर्ष के दूसरी तिमाही में भारत के विकास के रफ्तार में ब्रेक लग गया है। देश की GDP वृद्धि दर सुस्त होकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन की वजह से आर्थिक वृद्धि गिरावट आई है।
GDP ग्रोथ के आंकड़ों की तुलना की जाए तो पिछले दो साल में इस तिमाही का प्रदर्शन सबसे खराब है. एक साल पहले की समान तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का पिछला निम्न स्तर 4.3 प्रतिशत था जो वित्त वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही यानी तीसरी तिमाही में दर्ज किया गया था।
बीती तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर गिरकर 2.2 प्रतिशत रह गई, जबकि एक साल पहले इसमें 14.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। सर्विस सेक्टर (जैसे व्यापार, होटल, परिवहन और प्रसारण सेवाएं) ने FY 2024-25 की दूसरी तिमाही में 7.1% की वृद्धि दर्ज की, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के 6.0% से अधिक है।
इसके अलावा माइनिंग में 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जबकि एग्रीकल्चर और उससे संबंधित सेक्टर में 3.5 फीसदी की तेजी है. कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में 7.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है। दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि छह प्रतिशत आंकी गई है। पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.7 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रही थी।
धीमी जीडीपी ग्रोथ के बावजूद भारत प्रमुख अर्थव्यवस्ताओं के बीच अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इस साल जुलाई-सितंबर तिमाही में चीन की GDP ग्रोथ 4.6% रही। वहीं जापान की जीडीपी 0.9% की दर से बढ़ी है।
आर्थिक मोर्चे पर खराब प्रदर्शन को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने केंद्र सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि GDP में गिरावट का साफ मतलब है कि देश में उद्योग-धंधे मंद पड़ रहे हैं, काम नहीं हो रहा है, रोजगार के अवसर खत्म हो रहे हैं।