SEBI चीफ पर 3 जगह से लाभ लेने का आरोप, इस्तीफा देने के बाद ICICI से ली 17 करोड़ रुपए सैलरी
कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि 2017 में सेबी की मौजूदा अध्यक्ष के पदभार संभालने के बाद से वह न केवल सेबी से वेतन ले रही हैं बल्कि ICICI बैंक में लाभ के पद पर भी हैं और वहां से भी आज की तारीख में आय हासिल कर रही हैं।
नई दिल्ली। हिंडनबर्ग के हालिया खुलासे के बाद सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चीफ माधवी पुरी बुच विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया।
पवन खेड़ा ने कहा कि माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं। SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं। खेड़ा ने दावा किया कि माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था। वे ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं।
पवन खेड़ा ने कहा कि हम माधवी पूरी से जानना चाहते हैं कि आप SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं? यह सीधे-सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। माधबी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, SEBI की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं? 2017-2024 के बीच इन्होंने ICICI प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?
मामले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री को पता था कि सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में मौजूदा सेबी अध्यक्ष आईसीआईसीआई और उसके संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थी और साथ ही साथ आईसीआईसीआई से आय भी प्राप्त कर रही थीं? मौजूदा सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई से ईएसओपी लाभ क्यों मिलते रहे, जबकि वे बहुत पहले ही खत्म हो चुके थे?