सोयाबीन के बीज की अंकुरण गुणवत्ता घटाने के लिए शिवराज सरकार ने की केंद्र से मांग, निजी उत्पादकों को लाभ पहुंचाने का लगा आरोप

सोयाबीन बीज के अंकुरण मानक को 70 प्रतिशत से घटाकर 60 प्रतिशत करने के लिए मध्यप्रदेश शासन की ओर से केंद्रीय कृषि विभाग को पत्र लिखा गया है, अंकुरण मानक को घटाने की मांग पर राज्य के कृषि कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने यह दलील दी है कि बीज उत्पादक संस्थाओं के पास दो लाख क्विंटल से अधिक बीज उपलब्ध हैं जिनकी गुणवत्ता 60 फीसदी से अधिक है, यानी 70 फीसदी से कम है

Updated: Jul 13, 2021, 03:24 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने राज्य में सोयाबीन की खेती के लिए बीज के अंकुरण मानक को घटा दिया है। राज्य सरकार के कृषि कल्याण विभाग ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को बीज के अंकुरण मानक को 70 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक बीज का अंकुरण मानक 70 प्रतिशत है। इससे कम मानक के बीज बेचने की अनुमति किसी भी बीज उत्पादक संस्था को नहीं है। 

लेकिन मध्यप्रदेश के कृषि कल्याण विभाग ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को बीज के अंकुरण मानक को घटाने के पीछे जो तर्क दिया है उसके मुताबिक इस समय मध्यप्रदेश राज्य कृषि बीज उत्पादक संघ सहित निजी बीज उत्पादक संस्थाओं के पास दो लाख क्विंटल से अधिक बीज ऐसे हैं, जिनका अंकुरण मानक 60 फीसदी से अधिक है यानी 70 फीसदी से कम है। 

शिवराज सरकार ने सोयाबीन के बीज की गुणवत्ता कम रहने के पीछे यह तर्क दिया है कि पिछले वर्ष खराब मौसम रहने की वजह से सोयाबीन की फसल पर कीट व्याधि के प्रकोप के कारण बीज उत्पादक संस्थाओं द्वारा तैयार किए गए बीज की गुणवत्ता में कमी आई है।  

सरकार के फैसले पर क्या कहते हैं कृषि जानकार 

मध्यप्रदेश शासन ने भले ही अभी केंद्रीय कृषि मंत्रालय को अंकुरण मानक कम करने के लिए प्रस्ताव भेजा है, लेकिन कृषि कल्याण विभाग के अधिकारियों को इस भेजे गए प्रस्ताव के अनुरूप कार्रवाई करने के निर्दश भी दे दिए गए हैं। 

इस पूरे घटनाक्रम पर कृषि विशेषज्ञ केदार शंकर सिरोही कहते हैं कि यह किसानों को बर्बाद करने की राज्य सरकार की साजिश से कम नहीं है। केदार शंकर सिरोही ने कहा कि ज्यादातर बीज निजी उत्पादकों के हिस्से होता है। इसलिए किसान भी बीज खरीदने के लिए निजी सेक्टर का रुख करते हैं। ऐसी परिस्थिति में अगर कम अंकुरण मानक का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा तो उनका उत्पादन घट जाएगा। सिरोही ने कहा कि मध्यप्रदेश सोयाबीन की फसल का गढ़ रहा है, लेकिन राज्य के किसानों के प्रति सरकार का यह बर्ताव असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। 

सिरोही ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान माफियाओं को जमीन में गाड़ने का दावा करते हैं। दूसरी तरफ उनके मंत्री कमल पटेल इस तरह की कार्रवाई कर के माफियाओं को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं।