दफ्तर दरबारी: अरबों का नुकसान, तीन आईएएस को क्‍या होगी 5 साल की जेल

MP News: अवैध खनन का फैलता जाल, तंत्र की मिली भगत और सरकार को राजस्‍व का घाटा। मध्य प्रदेश में ऐसी शिकायतें आम बात है लेकिन पहली एक जिम्‍मेदार पद पर बैठे अधिकारी ने तीन आईएएस के खिलाफ ऐसी शिकायत की है। मामला केंद्र सरकार के पाले में है और अगर यह सुलझा नहीं तो आईएएस को जेल भी जाना पड़ सकता है। 

Updated: Jun 14, 2025, 12:34 PM IST

खनन के अवैध कारोबार से सरकार को अरबों का राजस्‍व घाटा होता है लेकिन इस बार अफसरों की कार्यप्रणाली के कारण ऐसा हुआ है। यह शिकायत किसी आम आदमी ने नहीं की है बल्कि रिटायर्ड आईएएस शिवनारायण सिंह चौहान ने की है। रिटायर्ड आईएएस एमपी स्टेट इनवायरनमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथारिटी यानी सिया के चेयरमैन हैं। सिया एक ऐसा संगठन है जो पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नियमों को पालन को देखता है और इसी आधार पर विभिन्‍न प्रोजेक्‍ट को अनुमति देता है। इसकी संवैधानिकता सुप्रीम कोर्ट तय करता है।

सिया के अध्‍यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान ने शिकायत की है कि 28 मार्च 2025 से लेकर 21 अप्रैल 2025 तक एक भी बैठक आयोजित नहीं की गई। इस कारण लगभग 700 प्रकरण अनुमतियों के इंतजार में अटके रहे। लेकिन सिया की सचिव उमा माहेश्वरी अवकाश पर गई और प्रभारी सचिव आईएएस श्रीमन शुक्‍ला ने एक ही दिन में 450 मामलों को अनुमति दे दी। प्रमुख सचिव नवनीत मोहन कोठारी ने भी तुरंत अनुमति दे दी। अफसरों का तर्क है कि सबकुछ नियमानुसार हुआ है। मंत्रालय का नियम है कि यदि किसी प्रोजेक्‍ट पर 45 दिनों तक अनुमति का फैसला नहीं होता है तो 46 वें दिन उसे स्‍वीकृत मान लिया जाएगा। 

सिया के चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान का कहना है कि बार-बर कहने के बाद भी सचिव उमा माहेश्वरी ने बैठक नहीं बुलाई। मानो वे 45 दिन गुजरने का इंतजार कर रही थी। वे छुट्टी पर गई और प्रभारी अधिकारी ने ताबड़तोड़ अनुमतियां जारी करवा दी। संभव है कि यह मनमानी किन्‍हीं लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई।  सिया के अध्‍यक्ष शिवनारायण सिंह चौहान ने सरकार को ने केवल पत्र लिखे बल्कि मुख्य सचिव अनुराग जैन से सचिव उमा माहेश्वरी की शिकायत भी की। यहां शिकायत पर सुनवाई न होने पर सिया चेयरमैन शिवनारायण सिंह चौहान ने केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को शिकायत भेज दी। 

यह पहली बार है जब सिया में इस तरह अनियमितता का मामला सार्वजनिक हुआ है अन्‍यथा तो अंदरूनी शिकायतें कई हैं। अध्‍यक्ष की शिकायत पर सिया सचिव और अन्‍य दोषी अधिकारियों पर जुर्माना, जेल आदि सजाओं का संकट गहरा गया है। अधिकारियों का तर्क यही है कि 45 दिन की अवधि गुजर गई थी, अनुमति यूं भी मिलनी थी। लेकिन सवाल प्रक्रिया का है। 45 दिनों तक इन फाइलों पर निर्णय क्‍यों नहीं लिया गया। यदि निर्णय लिया जाता तो सभी आवेदन एक नियम से अनुमतियां नहीं पाते। कुछ रिजेक्‍ट होते, कुछ में बदलाव होते। फिलहाल, अफसर इन आरोपों से बचाव की राह बुन रहे हैं। 

एसीएस की बात का क्‍या, मूंग जहरीली ही रही 

मध्‍य प्रदेश में अंतत: किसानों की दाल गल गई। मतलब, उनके प्रदर्शन के आगे सरकार झुक गई। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी कर कहा कि सरकार किसानों के हक में फैसला ले रही है कि गर्मियों के दौरान ली जाने वाली मूंग की फसल को सरकार समर्थन मूल्‍य पर खरीदेगी। इससे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। तमाम किसानों का प्रदर्शन रंग लाया। 

मगर सवाल तो यही है कि मूंग जहरीली है या नहीं? अपर मुख्‍य सचिव कृषि उत्पादन आयुक्त एसीएस अशोक वर्णवाल के इसी बयान से यह पूरा विवाद उठा है। इंदौर में हुई बैठक के बाद एसीएस अशोक वर्णवाल ने कहा था कि गर्मी में मूंग की फसल बोने वाले किसान बहुत ज्‍यादा कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे ताकि बारिश के पहले मूंग काट लें और खेत को अगली फसल के लिए तैयार कर लें। कीटनाशकों के अत्‍यधिक प्रयोग के कारण मूंग जहरीले हो चुके हैं। इसलिए सरकार ने तय किया है कि वह मूंग को समर्थन मूल्‍य पर नहीं खरीदेगी। 

इस निर्णय से किसानों को मूंग पर प्रति क्विंटन 2 हजार रुपए से अधिक का नुकसान होता। किसान विरोध में उतर आए। विपक्ष कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर थी। किसान संगठनों के विरोध के बाद सरकार ने समर्थन मूल्‍य पर मूंग खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए 19 जून से पंजीयन शुरू हो जाएंगे। 

किसानों को समर्थन मूल्‍य तो मिल गया है लेकिन जनता के लिए तो मूंग कड़वे ही हैं। बेहतर हो कि कृषि उत्पादन आयुक्त इस दिशा में पहल करें और कीटनाशकों के उपयोग के नियम सख्त करने और किसानों को जागरूक करने के अभियान शुरू करवाएं। 

अफसरों की नाक के नीचे 90 डिग्री भ्रष्टाचार 

अपने तालाब, खूबसूरत और गैस त्रासदी के कारण दुनिया भर में चर्चित भोपाल इंजीनियरिंग के करिश्‍मे के कारण पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया है। असल में पुराने भोपाल में 90 डिग्री एंगल पर मोड़ वाला एक ब्रिज मीडिया और सोशल मीडिया में छाया हुआ है। 2022 में बनना शुरू हुआ यह ब्रिज 18 माह में बनना था लेकिन बनते-बनते दुगना से ज्‍यादा समय हो गया। इसके बाद जब ब्रिज के फोटो वायरल हुए तो तकनीकी दक्ष विशेषज्ञ तो ठीक आम जनता भी हैरान रह गई।

इंजीनियरों ने ब्रिज को 90 डिग्री के कोण पर जोड़ दिया था। इस कारण आमने-सामने से आने वाले वाहनों में सीधी टक्‍कर की आशंका होगी। इस डिजाइन को प्रथम दृष्‍टया ही खारिज कर दिया गया। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने जानकारी दी है कि ऐशबाग क्षेत्र में बने रेलवे ओवरब्रिज को लेकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की टीम ने स्थल निरीक्षण कर लिया है। टीम द्वारा तकनीकी रिपोर्ट देने के बाद आगामी निर्णय एवं आवश्यक कार्रवाई होगी। 

पुल तो बन गया अब तो सरकार के पास इस डिजाइन के अनुसार दुर्घटना रोकने के उपाय ही करना रह गए हैं। एक्सीडेंट रोकने के उपायों पर मोटा खर्च करना विभाग की मजबूरी होगी। कुछ समय पहले अंबेडकर फ्लाय ओवर के निर्माण तथा रानी कमलापति स्‍टेशन पर मेट्रो स्‍टेशन की ऊंचाई को लेकर भी सवाल उठे थे। तब नवागत सीएस अनुराग जैन ने पद संभालते ही इस तरह की खामियों पर कड़ा एतराज जताया था। लेकिन निर्माण विभागों ने गलतियों और फटकार से कोई सबक नहीं लिया।

कलेक्टर की कुर्सी खाली, तबादला होता नहीं, करार आता नहीं 

मध्‍य प्रदेश में कई दिनों से प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी है। अंतिम समय पर कुछ नामों में सहमति नहीं बनने के कारण तबादला सूची लगातार अटक रही है। अब आलम यह है कि दतिया में कलेक्‍टर की कुर्सी खाली हुए 14 दिन हो चुके हैं लेकिन नई पदस्‍थापना नहीं हो सकी है। यहां प्रभारी कलेक्‍टर से काम चल रहा है। इसी तरह, मंत्रालय में कुछ प्रमुख सचिवों की जिम्‍मेदारियों में बदलाव होना है। कुछ संभागायुक्‍त बदले जाएंगे तो कुछ जिलों के कलेक्‍टरों के तबादले होंगे। आईएएस अफसरों की पोस्टिंग को अधिक तर्कसम्‍मत बनाने के लिए सीएस अनुराग जैन ने एक सर्वे करवाया है। माना जा रहा है कि अगले फेरबदल में कामकाज का यह सर्वे अहम् भूमिका निभाएगा। 

इसी तरह, आईपीएस अधिकारी भी अपने तबादले का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। अफसर अपने तबादले का मन बना चुके हैं, उनके कामकाज की रफ्तार भी प्रभावित हुई है मगर ट्रांसफर पर सरकार कोई फैसला कर ही नहीं पा रही है। यूं तो तबादले के लिए सरकार ने समय सीमा दूसरी बार बढ़ा कर 17 जून तय कर दी है। अफसर उम्‍मीद कर रहे हैं कि उसके पहले सूची आ जाएगी लेकिन आईएएस के तबादले समय सीमा के मोहताज नहीं है। मामला मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव की व्यस्तता के कारण अटका है। खबर है कि कुछ नामों पर सहमति नहीं है और इस कारण बड़ी प्रशासनिक सर्जरी टल रही है। इन नामों पर फैसला होते ही बड़ी तबादला सूची जारी कर दी जाएगी।