भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है ब्रेन और गले का कैंसर, युवाओं में तंबाकू से फैल रही है बीमारी

कैंसर मुक्त भारत फ़ाउंडेशन ने दावा किया है कि भारत में कुल कैंसर मरीज़ों में २६ फ़ीसदी लोग ब्रेन और गले के कैंसर से प्रभावित हैं। फ़ाउंडेशन का दावा है कि इसकी सबसे बड़ी वजह तंबाकू का अत्यधिक सेवन बन रहा है।

Updated: Jul 28, 2024, 12:16 PM IST

भारत में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में तेज़ी वृद्धि देखी जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार 2040 तक कैंसर के नए मामलों की संख्या 2.1 मिलियन तक पहुंच जाएगी। वही विशेषज्ञों ने ये भी कहा कि सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में वृद्धि एक गंभीर चेतावनी है। हमें इसके कारणों को समझने और रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने की जरूरत है। दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन 'कैंसर मुक्त भारत फाउंडेशन' के एक नए शोध में पता चला है कि भारत में कैंसर के मरीजों में से लगभग 26 प्रतिशत सिर और गर्दन के कैंसर से बुरी तरह ग्रस्त हैं। 

इसके अलावा देश के युवाओं में सिर और गर्दन के कैंसर के मामले तेजी से देखे जा रहे है। इसका मुख्य कारण तंबाकू का सेवन और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) है। करीबन 80-90 प्रतिशत मुंह के कैंसर के मरीज तंबाकू का सेवन करते हैं, चाहे वह धूम्रपान के रूप में हो या चबाने के रूप में। '

पुणे स्थित रूबी हॉल क्लिनिक के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी निदेशक संजय देशमुख का ये भी तो कहना है कि, भारत में सिर और गर्दन के कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है। वही गुटखा और खैनी जैसे तम्बाकू उत्पादों में कैंसर कारक तत्व होते हैं, जो कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, शराब का सेवन भी सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारण है। "

बता दें जब तम्बाकू के सेवन के साथ शराब का सेवन किया जाता है, तो कैंसर पैदा करने वाले प्रभाव बढ़ जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, शराब पीने से मुंह, गले, स्वरयंत्र और अन्नप्रणाली के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत में पान-मसाला और सुपारी का सेवन एक आम बात है, जिसमें अक्सर तम्बाकू भी मिला होता है। इसके अलावा पान का सेवन भी सिर और गर्दन के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक बन सकता है।