चीता प्रोजेक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता से जुड़ा है, कहकर MP सरकार ने RTI का नहीं दिया जवाब

चीता प्रोजेक्ट को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने अजीबो-गरीब जवाब दिया है। सरकार ने इससे जुड़े एक आरटीआई आवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि चीता प्रोजेक्ट 'राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की एकता-अखंडता' का मामला है।

Updated: Jul 26, 2024, 07:07 PM IST

कूनो। मध्य प्रदेश वन विभाग ने अफ्रीका से लाए गए चीतों और भारत में जन्मे उनके शावकों की देखरेख के बारे में सूचना देने से इनकार कर दिया है। सरकार ने यह कहकर RTI आवेदन को खारिज कर दिया कि चीता प्रोजेक्ट ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की एकता-अखंडता’ का मामला है। सरकार के इस जवाब से वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट हैरान हैं। लोग ये नहीं समझ पा रहे कि चीता प्रोजेक्ट का राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की एकता-अखंडता से क्या लेना-देना है.

दरअसल, वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे के आरटीआई के तहत चीत प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी मांगी थी। हालांकि, वन विभाग ने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) का हवाला दिया, जो सूचना न देने की अनुमति देता है अगर उससे भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों पर असर पड़ता हो या अपराध को बढ़ावा मिलता हो।

अजय दुबे जानना चाहते थे कि चीतों के दूसरे घर यानी मंदसौर जिले में स्थित गांधी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में इन्हें बसाने की क्या योजना है। उनके इस आरटीआई आवेदन को सरकार ने आरटीआई एक्ट की धारा 8 (1) (a) के तहत मानकर जवाब देने से इनकार कर दिया. आरटीआई एक्ट की इस धारा में प्रावधान है कि अगर इसके सवालों से देश की सुरक्षा और एकता-अखंडता को खतरा होता है तो अधिकारी इसका जवाब देने से इनकार कर सकते हैं.

दुबे ने बताया कि यह पहली बार है जब कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को छोड़े जाने के बाद से चीता परियोजना पर सूचना देने से इनकार किया गया है। दुबे को पहले भारत में पैदा हुए शावक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली थी, जिसमें पता चला कि शावक का दाहिना पैर 28 नवंबर को चोटिल हो गया था।