दुनिया की पसंद बनी भारतीय फिल्टर कॉफी, TasteAtlas की सूची में मिला दूसरा स्थान
दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी ने TasteAtlas की शीर्ष 10 कॉफी की सूची में दूसरा स्थान हासिल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है।
दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी ने TasteAtlas की शीर्ष 10 कॉफी की सूची में दूसरा स्थान हासिल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। अपने अनोखे स्वाद और खास बनाने के तरीके के कारण प्रसिद्ध, यह कॉफी दक्षिण भारतीय घरों में एक आम पेय है और अब वैश्विक स्तर पर भी अपनी खास जगह बना चुकी है, केवल क्यूबा के एस्प्रेसो के बाद।
पारंपरिक रूप से, इसे एक साधारण स्टेनलेस स्टील फिल्टर में तैयार किया जाता है, जिसमें दो कक्ष होते हैं - ऊपर के कक्ष में पिसी हुई कॉफी और नीचे के कक्ष में तैयार कॉफी एकत्र होती है। गर्म पानी कॉफी के दानों पर डाला जाता है, जिससे धीरे-धीरे कॉफी टपककर एक मजबूत और सुगंधित पेय तैयार होता है। कई लोग रात भर फिल्टर सेट करते हैं ताकि सुबह ताजा कॉफी मिल सके।
इस तैयार कॉफी को गर्म दूध और चीनी के साथ मिलाकर परोसा जाता है, पारंपरिक रूप से छोटे स्टील के टंबलर और 'डबारा' नामक पीतल की कटोरी के साथ। परोसने से पहले टंबलर और डबारा के बीच कॉफी को बार-बार डालकर झागदार बनावट दी जाती है।
यह रैंकिंग दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी के सांस्कृतिक महत्व और इसकी वैश्विक लोकप्रियता को दर्शाती है। ग्रीस के एस्प्रेसो फ्रेड्डो, इटैलियन कैप्पुचिनो और तुर्की कॉफी जैसे अंतरराष्ट्रीय पसंदीदा पेय के बीच इसने अपनी जगह बना ली है। इसके अनोखे बनाने और परोसने के तरीके, साथ ही गहरे स्वाद ने इसे विश्व मंच पर खास पहचान दिलाई है।
TasteAtlas की सूची में वियतनामी आइस्ड कॉफी, ग्रीस का फ्रापे और जर्मनी की आइसकाफे जैसी अन्य उल्लेखनीय कॉफियां भी शामिल हैं, जो दर्शाती हैं कि दुनिया भर में कॉफी संस्कृतियों ने किस तरह से अनूठे तरीकों का विकास किया है। दक्षिण भारतीय फिल्टर कॉफी अब दुनिया के शीर्ष पेय पदार्थों में अपनी पहचान बना रही है।