पहले बताई गई कोरोना की दवाई, अब WHO ने कहा दूर रहने में है भलाई

WHO ने 6 हजार से ज्यादा लोगों पर हुए ट्रायल के बाद बताया, हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन से कोरोना के इलाज में कोई मदद नहीं मिलती, उलटे साइड इफेक्ट्स के कारण नुक़सान हो सकता है

Updated: Mar 02, 2021, 12:38 PM IST

Photo Courtesy: STAT
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दुनिया में कोरोना के फैलने के शुरुआती दौर में जिस दवा को कोविड-19 का बेहद कारगर इलाज़ बताया गया, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिसका जमकर प्रचार किया, वो हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन दरअसल इस महामारी से निपटने में ज़रा भी असरदार नहीं है। यह खुलासा अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने किया है। WHO के एक्सपर्ट पैनल ने आज इस बारे में एक बयान जारी करके यह जानकारी दी है। 

WHO के एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से न तो कोरोना के कारण होने वाली मौत की संख्या कम होती है और न ही अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या घट रही है। बल्कि WHO ने तो अब यह भी कहा है कि फायदा करने की जगह यह दवा मरीजों पर उल्टा असर डालकर उन्हें और नुकसान पहुंचा सकती है। यही वजह है कि WHO ने अब कोविड-19 के मरीजों को हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन से दूर ही रहने की सलाह दी है।

कोविड 19 महामारी की शुरुआत में हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन की पूरी दुनिया में इतनी चर्चा हुई कि अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने इसे भारत से बड़े पैमाने पर आयात किया था। दरअसल मलेरिया के इलाज़ में काम आने वाली यह दवा सबसे ज्यादा भारत में ही बनाई जाती है। इस दवा की सबसे ज्यादा चर्चा तब हुई जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा इसे कोविड 19 के उपचार में फायदेमंद बता दिया। हालांकि उस वक्त भी कई विशेषज्ञ इस दावे से पूरी तरह सहमत नहीं थे, लेकिन किसी और ठोस इलाज़ के अभाव में परीक्षण के तौर पर ही सही, इस दवा का भारत और विदेशों में भी काफी इस्तेमाल हुआ।

लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक्सपर्ट पैनल ने 6 हजार से ज्यादा लोगों पर 6 तरह के परीक्षण के बाद हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन के बारे में अपनी राय सामने रखकर सारा असमंजस दूर कर दिया है। WHO के सभी परीक्षणों में यही बात निकलकर सामने आई है कि हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में ज़रा भी कारगर नहीं है। इन नकारात्मक नतीजों के सामने आने के बाद अब कहा जा रहा है कि आगे की रिसर्च में हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन की जगह दूसरी दवाओं पर परीक्षण किए जाएंगे।  हालांकि हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन मलेरिया के साथ ही साथ आर्थराइटिस के इलाज में भी पहले ही तरह इस्तेमाल की जाती रहेगी। यह बेहद पुरानी और सस्ती दवा इन्हीं तकलीफों के इलाज के लिए भारत में बड़ी मात्रा में बनाई जाती है।