वोट चोरी राष्ट्रविरोधी कदम, BJP लोकतंत्र को डैमेज कर रही, लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान बोले राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा कि इस सरकार ने दिसंबर 2023 में कानून बदल दिया ताकि किसी चुनाव आयुक्त को उसके फैसलों के लिए सजा नहीं मिले। आखिर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसकी जरूरत क्यों पड़ी।
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को लोकसभा में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा हो रही है। इस दौरान चुनाव सुधार पर बोलते हुए नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि सीसीटीवी वाला कानून क्यों बदला गया है? उन्होंने कहा कि ये चुनाव चुराने का खेल है, डेटा का नहीं। राहुल गांधी ने वोट चोरी को राष्ट्रविरोधी कदम बताते हुए भाजपा पर लोकतंत्र को डैमेज करने का आरोप लगाया।
राहुल गांधी ने चुनाव सुधारों पर चर्चा में भाग लेते हुए सवाल किया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाली चयन समिति में प्रधान न्यायाधीश को शामिल क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार ने दिसंबर 2023 में कानून बदल दिया ताकि किसी चुनाव आयुक्त को उसके फैसलों के लिए दंडित नहीं किया जा सके। आखिर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसकी जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने दावा किया कि इतिहास में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।
राहुल गांधी ने कहा कि देश 1.5 अरब लोगों का तानाबाना है जो वोट के माध्यम से बुना हुआ है। अगर वोट का ही मतलब नहीं रह जाएगा तो लोकसभा, विधानसभा या पंचायत, किसी का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा। उन्होने कहा कि निर्वाचन आयोग सत्तापक्ष में बैठे लोगों के साथ मिलीभगत करके फैसले कर रहा है। चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार लंबे प्रचार अभियान के लिए समय दिया जाता है।
कांग्रेस नेता ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद इनके ‘प्रोजेक्ट’ का अगला हिस्सा भारत के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का था। उन्होंने कहा, 'आरएसएस ने एक-एक करके संस्थाओं पर कब्जा शुरू कर दिया। सब लोग जानते हैं कि विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति कैसे होती है। निर्वाचन आयोग, विश्वविद्यालयों, खुफिया एजेंसियों, जांच एजेंसियों और आयकर विभाग जैसी संस्थाओं पर कब्जा किया जा रहा है।'
उन्होंने दावा किया कि निर्वाचन आयोग पर कब्जा किया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने यह आरोप भी लगाया कि निर्वाचन आयोग सत्तापक्ष में बैठे लोगों के साथ मिलीभगत करके फैसले कर रहा है और किसी भी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के अनुसार प्रचार के लिए लंबी अवधि रखी जाती है। उन्होंने सत्तापक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह वर्ण व्यवस्था में यकीन करते हैं और इस क्रम में खुद को सबसे ऊपर मानते हैं।




