वर्ल्ड सीपीओडी डे: ये बीमारी फेफड़ों को सड़ाने वाली बीमारी, जानें लक्षण और बचाव

सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्सटॅक्टिव पल्मोनरी डिजीज बीमारी वायु प्रदूषण या स्मोक के कारण होने वाली एक बीमारी है, जिसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

Updated: Nov 16, 2023, 12:25 PM IST

पूरी दुनिया में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही सांस से संबंधित बीमारियों के मरीज भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में बढ़ते प्रदूषण के कारण आपको भी यदि सांस से संबंधित कोई समस्या हो तो इन लक्षणों की बिल्कुल भी अनदेखी नहीं करना चाहिए। बता दें कि सीओपीडी का मुख्य कारण स्मोकिंग और अस्थमा होता है। इसके अलावा आजकल का बढ़ता प्रदुषण इस बीमारी को बढ़ा रहा है। जिन लोगों को सीओपीडी की बीमारी होती है, उन्हें आगे चलकर दिल से जुड़ी बीमारियां, फेफड़ों का कैंसर के साथ ही अन्य कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए नवंबर महीने के तीसरे बुधवार को सीओपीडी डे मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड सीओपीडी डे 15 नवंबर को मनाया जा रहा है।

सीओपीडी बीमारी क्या है? 

सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्सटॅक्टिव पल्मोनरी डिजीज बीमारी वायु प्रदूषण या स्मोक के कारण होने वाली एक बीमारी है, जिसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। सीओपीडी होने पर बीमारी में मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है और समय रहते यदि इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की जान जाने का भी खतरा बना रहता है।आमतौर जब हम सांस लेते हैं तो हमारे फेफड़े ऑक्सीजन सोख लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर छोड़ देते हैं। लेकिन सीओपीडी की समस्या होने पर शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन ठीक से नहीं हो पाता है और फेफड़ों के वायु मार्ग सिकुड़ जाते हैं और मरीज को सांस लेने में काफी ज्यादा परेशानी होती है।

सीओपीडी के 2 प्रकार

सीओपीडी रोग के दो मुख्य प्रकार हैं, जिसमें से पहला है क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और दूसरा एंफीसीमा। 

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस

कुछ दिनों तक थूक या बलगम के साथ लगातार खांसी रहने को क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के रूप में जाना जाता है, जो बीते तीन महीने से हो रही हो।

एंफीसीमा

इसके अलावा एंफीसीमा में हमारे फेफड़े के टिश्यू समय के साथ-साथ क्षतिग्रस्त होते जाते हैं, जिसके कारण सांस लेने में कमी या फिर घरघराहट रहती है।

लक्षण

सर्दियों के मौसम में सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसमें मरीजों को सांस लेने में काफी ज्यादा परेशानी होती है, वहीं सीने में जकड़न होने के साथ-साथ सांस लेने पर घरघराहट की आवाज आना, शरीर में कमजोरी महसूस होना और वजन घटने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मरीजों में पैरों में सूजन भी होने लगती है।

सीओपीडी से बचाव

1.भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क का इस्तेमाल करें।

2.प्रदुषण से खुद को बचाएं।

3.एलर्जी से परेशानी और सांस में दिक्कत पर डॉक्टर की सलाह लें।

4.घर के अंदर धूल मिट्टी आने से रोकें।

5.सबसे जरूरी की धूम्रपान से करें परहेज और पैसिव स्मोकिंग का भी शिकार न बनें।

6.समस्या बढ़ने पर वैक्सीनेशन का सहारा लें।

7.खानपान का और लाइफस्टाइल का खास ध्यान रखें।

बता दें सीओपीडी होने पर मरीज का मानसिक तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में मरीज की मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देना चाहिए। यह बीमारी मरीज की लाइफस्टाइल को भी प्रभावित करती है। मरीज को किसी से बात करने में तकलीफ महसूस होती है। इन सब के अलावा सांस लेने के लिए अपनी एक्सेसरीज मसल्स जैसे चेस्ट मसल्स और नेक का प्रयोग करना आदि लक्षण देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही ये लक्षण लंबे समय तक चलते हैं और समय के साथ-साथ मरीज की हालत भी बिगड़ती जाती है।