कस्टोडियल डेथ, प्रेस फ्रीडम, मानवाधिकारों की दयनीय स्थिति, अमेरिका ने भारत को दी नसीहत

अमेरिका ने एक रिपोर्ट जारी कर कस्टोडियल डेथ और पत्रकारों की अवैध गिरफ्तारी समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर भारत की आलोचना की है।

Updated: Mar 21, 2023, 11:44 PM IST

वॉशिंगटन। अमेरिका ने मानवाधिकारों के मुद्दे पर एक बार फिर से भारत को नसीहत दी है। अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार मानवाधिकार के मुद्दे पर अपनी वार्षिक एनालिटिकल रिपोर्ट जारी की है। अमेरिका ने कस्टोडियल डेथ और पत्रकारों की अवैध गिरफ्तारी समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर भारत की तीखी आलोचना की है।

अमेरिका की रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत में 2022 में ज्यूडिशयल कस्टडी में हत्या, प्रेस की स्वतंत्रता, धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली हिंसा समेत मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इस रिपोर्ट में भारत में इंटरनेट पर रोक, शांतिपूर्ण सभा में सरकारी हस्तक्षेप के साथ-साथ देश और विदेश के मानवाधिकार संगठनों के उत्पीड़न का भी उल्लेख किया गया है।

इसके अलावा अन्य मुद्दों में लिंग आधारित हिंसा, घरेलू और इंटीमेट पार्टनर वायलेंस, यौन हिंसा, वर्कप्लेस वायलेंस, बाल विवाह समेत राष्ट्रीय/ नस्लीय/ जातीय और अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों को निशाना बनाने वाली हिंसा का उल्लेख किया गया है। साथ ही जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर राज्यों और माओवाद-आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में हिंसा का भी उल्लेख किया गया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सरकार के सभी स्तरों पर आधिकारिक भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही की कमी है जिससे अपराधियों को समय पर सजा नहीं मिल पाती है। साथ ही इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कानून लागू करने में ढिलाई, प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों की कमी और संसाधनों की कमी वाली अदालती व्यवस्था के कारण मामलों में कन्विक्शन रेट भी बहुत कम है।

लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम से जुड़े मामलों की कार्यवाहक सहायक मंत्री एरिन बार्कले ने मानवाधिकार पर 2022 की देश की रिपोर्ट जारी होने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘अमेरिका और भारत नियमित रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मुद्दों पर उच्च स्तर पर परामर्श करते हैं। हम भारत से अपने मानवाधिकार दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए दृढ़ता से आग्रह करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।’ 

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, हम नियमित रूप से अमेरिका और भारत दोनों जगह नागरिक संगठन के संपर्क में रहे हैं, ताकि उनके दृष्टिकोण को सुन सकें और उनके अनुभवों से सीख सकें और हम भारत सरकार को भी उनसे परामर्श करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।' भारत में 2002 के गुजरात दंगों पर हाल में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर किए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिका प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करना जारी रखेगा। 

इस रिपोर्ट में मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए भारत के अलावा रूस, चीन, ईरान, उत्तर कोरिया और म्यांमार जैसे देशों की भी बड़े पैमाने पर आलोचना की गई है।