किसान आंदोलन के दौरान केंद्र ने दी थी ट्विटर को बंद करने की धमकी, जैक डॉर्सी का सनसनीखेज खुलासा

ट्विटर के पूर्व सीईओ और सह संस्थापक जैक डॉर्सी ने आरोप लगाया है कि किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने उन पर कई ट्विटर अकाउंट बंद करने का दबाव बनाया था और धमकी दी थी कि ऐसा न करने पर भारत में उनके दफ्तर बंद कर दिए जाएंगे।

Updated: Jun 13, 2023, 01:44 PM IST

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के पूर्व सीईओ और संस्थापक जैक डॉर्सी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के समय सरकार की आलोचना करने वाले कई ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निर्देश सरकार की तरफ से उन्हें दिए गए थे। डॉर्सी ने दावा किया कि भारत सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाया गया था और ऐसा न करने पर ट्विटर को भारत में बंद करने की भी धमकी दी गई थी।

डॉर्सी ने एक यूट्यूब चैनल 'ब्रेकिंग प्वाइंट्स' के साथ बातचीत में भारत सरकार के ट्विटर को लेकर रवैये पर काफी बातें कही। इस बातचीत में जब उनसे पूछा गया क्या कभी भारत सरकार ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की? इस पर डॉर्सी ने कहा कि ऐसा कई बार हुआ। उन्होंने कहा कि 'सरकार की तरफ से उनके (ट्विटर के) कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की बात कही गई। साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर ऑफिस बंद करने की भी धमकी दी गई। डोर्सी ने कहा कि यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ।

बता दें कि जैक डॉर्सी ट्विटर से इस्तीफा दे चुके हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने कई बार भारत का जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान सरकार की तरफ से ऐसे तमाम लोगों के हैंडल्स को ब्लॉक करने की कई सिफारिशें की गईं जो सरकार की आलोचना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इनमें वो पत्रकार भी शामिल थे, जो सरकार की आलोचना कर रहे थे। डोर्सी ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें धमकी भी दी थी कि अगर ऐसा नहीं किया तो 'आपके अधिकारियों के घरों पर छापेमारी होगी।'

जैक डोर्सी ने भारत के अलावा तुर्किए का भी नाम लिया। उन्होंने कहा कि तुर्किए ने भारत की तरह ही ट्विटर को धमकी दी थी और वहां भी ट्विटर को बंद करने को कहा गया था। बता दें कि मोदी सरकार की तरफ से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान करीब एक साल तक जमा रहे, जिसके बाद नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया। इस दौरान सरकार ने माना कि वो किसानों तक अपनी बात पहुंचाने में सफल नहीं रही।